बसपा सुप्रीमो की चुनाव जीतने की रणनीति: अतिपिछड़ों पर निगाहें टिकीं, पढें क्या है गणित
!!लखनऊ से राजेन्द्र कुमार!! कहने को यह वर्ग ‘अति पिछड़ा’ है, लेकिन यूपी की सियासत में अगड़ों को भी मात देता है. यूपी में अति पिछड़ों की आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है. ये आबादी करीब 80 सीटों पर किसी भी प्रत्याशी को जिताने का दम खम रखती है. 2012 के चुनावों के रेकॉर्ड पर […]
!!लखनऊ से राजेन्द्र कुमार!!
कहने को यह वर्ग ‘अति पिछड़ा’ है, लेकिन यूपी की सियासत में अगड़ों को भी मात देता है. यूपी में अति पिछड़ों की आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है. ये आबादी करीब 80 सीटों पर किसी भी प्रत्याशी को जिताने का दम खम रखती है. 2012 के चुनावों के रेकॉर्ड पर गौर करें, तो पिछड़ा और अति पिछड़ा जिस ओर गया, उसी दल का पलड़ा भारी रहा. इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए बसपा मुखिया अब अतिपिछड़ों को गोलबंद करने में जुटी हैं. उन्होंने हर जिला मुख्यालय पर पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया है. पिछड़ा वर्ग सम्मेलनों को प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व स्पीकर सुखदेव राजभर, पार्टी के पूर्व सांसद आरके सिंह पटेल, पूर्व एमएलसी आरएस कुशवाहा समेत दूसरे नेता संबोधित करेंगे. अति पिछड़ी जातियां लंबे समय से बसपा का प्रमुख वोटबैंक रही हैं. बसपा नेताओं का दावा है कि पार्टी संस्थापक कांशीराम के समय से ही दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ अति पिछड़ी जातियां बसपा के पक्ष में गोलबंद रही हैं. इनको मिला कर ही 85 फीसदी बहुजन समाज बना था.
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को मिला था वोट
सूबे की 110 सीटें ऐसी हैं, जहां अति पिछड़ों का वोट बैंक आठ से 15 फीसदी है. बीते आम चुनावों में मोदी लहर के चलते बसपा के वोटबैंक में सेंध लगी. तब भाजपा ने 15 अति पिछड़ों को टिकट दिया था, इसमें से सभी जीतकर संसद पहुंचे. बसपा एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. कहते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम ने अमित शाह को बसपा में सेंधमारी का रास्ता दिखाया. उन्होंने बसपा में पिछड़े वर्ग के मजबूत नेता माने जानेवाले स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा में शामिल कराया. फिर स्वामी की सलाह पर ही बसपा के वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा अति पिछड़ों में आधार बढ़ाने के लिए सम्मेलन कर रही है.
भाजपा दो विस क्षेत्रों में कर रही है सम्मेलन
भाजपा ने हर दो विधानसभा क्षेत्र में होनेवाले सम्मेलनों में पिछड़े वर्ग से संबंधित नेताओं, पदाधिकारियों के अलावा इस वर्ग से ताल्लुक रखनेवाले केंद्रीय मंत्रियों तक के कार्यक्रम तय किये हैं. भाजपा ने दो सौ सम्मेलन का लक्ष्य रखा है. भाजपा के पिछड़ा वर्ग सम्मेलनों में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी बढ़ी है. जिसे देख भाजपा नेता गदगद हैं, वहीं यह खबर सुनकर बसपा प्रमुख मायावती की अपने वोटबैंक को लेकर चिंतित हैं. बसपा नेताओं के अनुसार बीते दिनों दिल्ली में मायावती के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की हुई बैठक में अति पिछड़ी जातियों को गोलबंदी करने के लिए पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने का निर्देश दिया.
भाजपा को पिछड़ा विरोधी बतायेगी बसपा
10 जनवरी के पहले प्रदेश के सभी जिला में बसपा के यह सम्मेलन हो जाना है. इनमें प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर सहित बसपा के अन्य प्रमुख नेता भाजपा को पिछड़ा विरोधी साबित करेंगे. मायावती को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से दिलाने के लिए भाजपा से दूर रहने की अपील करेंगे. बसपा के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के बसपा मूवमेंट से दगा देने की बात भी सम्मेलन में आये लोगों से कहेंगे. उन्हें बतायेंगे स्वामी प्रसाद के धोखा देने से कोई असर पार्टी पर नहीं पड़ा है. उत्तर प्रदेश का का पिछड़ा वर्ग बसपा के साथ पहले भी था और आगे भी रहेगा.
बसपा के ऐसे सम्मेलनों से पार्टी को लाभ होगा. जहां अति पिछड़े वर्ग में भाजपा के प्रति बढ़नेवाला रुझान पर रोक लगेगी, वहीं पहले की तहत अति पिछड़ा वर्ग बसपा के पक्ष गोलबंद होगा.
राज अचल राजभर, प्रदेश अध्यक्ष, बसपा
क्या है गणित : अति पिछड़ों में गैर यादव जातियां होती हैं. इनमें राजभर, कुशवाहा, कुर्मी मुख्य हैं. इन्हें समाजवादी पार्टी से उपेक्षित माना जाता है.