नयी दिल्ली : समाजवादी पार्टी में ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह को लेकर जारी दंगल के बीच आज मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह के प्रयोग को लेकर समाजवादी पार्टी के विभिन्न धडों के दावों की समीक्षा कर रहा है. पुरानी परंपराओं और तय नियमों के आधार पर फैसला लिया जाएगा. जैदी ने कहा कि चुनाव चिन्ह का फैसला सही समय पर करेंगे. आयोग ने दोनों पक्षों को सुना हैं मुलायम सिंह ने अपना पक्ष रखा,रामगोपाल यादव ने भी चुनाव चिन्ह को लेकर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि आयोग दोनों पक्षों के तथ्यों का परीक्षण कर रहा है,परीक्षण के बाद आयोग फैसला लेगा.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) का चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ मंगलवार को औपचारिक तौर पर विवाद में घिर गया. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे ने चुनाव आयोग को बताया कि अब ‘वास्तविक तौर पर’ पार्टी की अध्यक्षता इसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव नहीं, बल्कि अखिलेश कर रहे हैं. इससे पहले सोमवार को मुलायम खुद चुनाव आयोग के मुख्यालय पहुंचे और आयोग को बताया कि वह अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं और प्रतिद्वंद्वी खेमे की ओर से उनके बेटे अखिलेश की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी सपा के संविधान के मुताबिक ‘असंवैधानिक’ है. अखिलेश के वफादार समझे जाने वाले नेताओं – राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा ने आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की और सपा व इसके चुनाव चिह्न पर दावेदारी जतायी.
गेंद अब आयोग के पाले में : प्रतिद्वंद्वी खेमों की ओर से पार्टी और इसके चुनाव चिह्न पर दावेदारी जताये जाने के साथ ही गेंद आयोग के पाले में चली गयी है. यूपी विधानसभा चुनाव का एलान किसी भी वक्त किया जा सकता है, ऐसे में आयोग के पास इस मसले पर फैसला करने के लिए काफी कम वक्त रह गया है.
आगे क्या
आयोग ‘साइकिल’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगा सकता है. दोनों को नये चिह्न पर चुनाव लड़ने का कह सकता है.
आयोग दोनों खेमों को चुनाव लडने के लिए तब तक कोई नया नाम दे सकता है, जब तक सपा और ‘साइकिल’ के ‘स्वामित्व’ पर अंतिम फैसला न हो जाये.
फैसले से पहले आयोग मुलायम व अखिलेश से एक-दूसरे के पक्ष पर जवाब देने को कहेगा. अंतिम आदेश आने में चार महीने तक का वक्त लग सकता है.