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उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव : बहनजी ने जारी की तीसरी सूची, 24 मुसलमानों को टिकट

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा केलिए आज अपने 100 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी. इस सूची में 24 मुसलमानों को टिकट दिया गया हैैैै. पार्टी ने अब तक 403 विधानसभा सीटों में से 300 के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बसपा की घोषित 100 उम्मीदवारों की […]

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा केलिए आज अपने 100 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी. इस सूची में 24 मुसलमानों को टिकट दिया गया हैैैै. पार्टी ने अब तक 403 विधानसभा सीटों में से 300 के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बसपा की घोषित 100 उम्मीदवारों की पहली सूची में जहां 36 मुसलमान थे, वहीं दूसरी सूची में इस कौम के 22 लोगों को टिकट दिया गया था. तीसरी सूची में 24 मुसलमानों को टिकट दिये गये हैं.

प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है और मुस्लिम मतदाता प्रदेश की करीब 125 सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं. दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण के समीकरण को लेकर चुनाव जीतने की जुगत लगा रही बसपा ने मुसलमानों के एकजुट वोट की ताकत को समझते हुए इस कौम के लोगों का चुनाव टिकट वितरण में खास ख्याल रखा है.

मायावती लगभग हर प्रेस कान्फ्रेंस में खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के एकमात्र मजबूत विरोधी के तौर पर पेश करती हैं और वह मुसलमानों से कहती हैं कि सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने केलिए मुस्लिम कौम सपा और कांग्रेस को वोट देकर उसे बेकार करने के बजाय बसपा को एकजुट होकर वोट दें.

मायावती ने गत मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कान्फ्रेंस में बताया था कि बसपा ने प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं. उनमें से 87 टिकट दलितों को, 97 टिकट मुसलमानों को और 106 सीटें अन्य पिछडा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को दिये गये हैं.

बसपा अध्यक्ष ने कहा था कि बाकी 113 सीटों परअगड़ी जातियों को टिकट दिये गये हैं. इनमें ब्राह्मणों को 66, क्षत्रियों को 36, कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है.

मायावती ने कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बसपा पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह जातिवादी बिल्कुल भी नहीं है.

मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है. वर्ष 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक पक्षीय मतदान की वजह से सपा को प्रचंड बहुमत मिला था.

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