लखनऊ :अगले महीने शुरू हो रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के वास्ते साइकिल निशान पर अपना दावा पुख्ता करने की कोशिश के तहत अखिलेश यादव गुट ने आज पार्टी के जन प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे आज चुनाव आयोग को सौंपे. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थक रामगोपाल यादव दस्तावेजों की सात प्रतियां सौंपने के लिए यहां चुनाव आयोग मुख्यालय निर्वाचन सदन पहुंचे. आयोग ने इस गुट से ये दस्तावेज मांगे थे.
उन्होंने दावा किया 1.5 लाख पन्नों के इन कागजातों में 200 से अधिक विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 विधान परिषद सदस्यों, 24 सांसदों में से 15 सांसदों तथा 5000 प्रतिनिधियों में से अखिलेश समर्थक करीब 4600 प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं.
उन्होंने दस्तावेज सौंपने के बाद कहा, ‘‘90 फसदी जन प्रतिनिधि एवं प्रतिनिधि अखिलेश यादव के साथ हैं, अतएव यह बिल्कुल साफ है कि हम असली सपा हैं…. हमें साइकिल निशान दिया जाना चाहिए और असली सपा समझा जाना चाहिए. ‘ रामगोपाल ने दावा किया कि एक सेट मुलायम सिंह को उनके दिल्ली निवास पर भेजा गया लेकिन उन्होंने पावती देने से इनकार कर दिया. अब उसे उनके लखनऊ के पते पर भेजा जाएगा. मुलायम सिंह धड़ा सोमवार को अपने हलफनामों का सेट आयोग को सौंप सकता है. चुनाव आयोग ने दस्तावेज सौंपने की समयसीमा नौ जनवरी तय कर रखी है. तीन जनवरी को सपा में विभाजन औपचारिक रुप से सामने आ गया था जब दोनों पक्ष सपा और उसके निशान पर दावा करते हुए चुनाव आयोग के पास पहुंचे थे.
आज दिन भर सपा के अंदर-बाहर बैठकों का दौरा जारी रहा. मुलायम अपने पांच, विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर रहे. उनसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव, वरिष्ठ सपा नेता आजम खां और अंबिका चौधरी ने मुलाकात की. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद और कुछ अन्य नेता भी मुलायम से मिले लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.
मुलायम के आवास से बाहर निकल रहे अंबिका चौधरी बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा. सपा एक रहेगी.’ सपा कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय सेठ अखिलेश से उनके आवास पर मिले. मकसद सुलह कराना था. चुनाव आयोग ने मुलायम और अखिलेश पक्ष को ‘साइकिल’ चुनाव निशान पर किए गए दावे के पक्ष में साक्ष्य पेश करने के लिए नौ जनवरी तक का समय दिया है.
अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया था कि उनके पास 229 में से 212 विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 और 24 सांसदों में से 15 के दस्तखत हैं. इसके अलावा 5,000 प्रतिनिधियों में से अधिकांश के दस्तखत हैं. ‘‘इससे स्पष्ट हो गया है कि असली सपा कौन सी है.’ इटावा में मुलायम के भाई अभयराम यादव ने शिवपाल की तारीफ की और परिवार एवं पार्टी के मौजूदा संकट का दोष अखिलेश पर मढा.
सवालों के जवाब में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अखिलेश अडियलपन दिखा रहे हैं. शिवपाल अखिलेश को स्कूल ले जाते थे और उनकी देखभाल करते थे. सुलह की कोशिश में ही शिवपाल ने कल अखिलेश से भेंट की थी. उम्मीद जगी कि कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा. एक समय तो लगा कि समझौता हो गया है. मीडिया को संदेश मिला कि मुलायम आपात प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और कोई बड़ा ऐलान होगा लेकिन कुछ ही मिनट में बिना कोई वजह बताये प्रेस कांफ्रेंस रदद कर दी गयी.
सपा सांसद अमर सिंह ने कहा कि वह पिता पुत्र में समझौता चाहते हैं और वह मुख्यमंत्री की राह का रोडा नहीं हैं. मौजूदा गतिरोध की वजह हालांकि अमर सिंह को ही माना जा रहा है. अमर सिंह के इस्तीफे की अटकलें भी चल रही हैं. एक संभावना ये भी है कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें. पारिवारिक अंतर्कलह शुरु होने से पहले अखिलेश सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे.