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गंठजोड़ : अखिलेश के सहारे राहुल !

!!लखनऊ से राजेंद्र कुमार!! मुलायम सिंह यादव ने कभी-भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का दामन नहीं थामा, उन्हीं के बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब कांग्रेस से गंठबंधन करेंगे. चर्चा है कि इसी हफ्ते अखिलेश यादव और राहुल गांधी मिल कर यूपी में चुनाव लड़ने का एलान कर सकते हैं. बीते 27 सालों से यूपी में […]

!!लखनऊ से राजेंद्र कुमार!!

मुलायम सिंह यादव ने कभी-भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का दामन नहीं थामा, उन्हीं के बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब कांग्रेस से गंठबंधन करेंगे. चर्चा है कि इसी हफ्ते अखिलेश यादव और राहुल गांधी मिल कर यूपी में चुनाव लड़ने का एलान कर सकते हैं. बीते 27 सालों से यूपी में अपना पांव जमाने की अथक और नाकाम कोशिशों में जुटी कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर है, जो इसका भी अहसास कराती है कि मुलायम सिंह यादव से झगड़ कर अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अकेले हो गये हैं.

उन्हें फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस और उसके साथियों का सहारा चाहिए. यह बात इस बार के विधानसभा चुनावों की सबसे अहम बात है. पांच साल पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव के नक्शेकदम पर चलते हुए राहुल गांधी की राजनीतिक गंभीरता पर सवाल खड़े किये थे. तब पूरे चुनाव के दरम्यान अखिलेश यादव की लोकप्रियता शिखर पर थी. उन्होंने पिता मुलायम सिंह की देखरेख में राहुल गांधी के आरोपों का करारा जवाब भी दिया था. लेकिन पूर्ण बहुमत की पांच बरस सरकार चलाने के बाद जब सपा सुप्रीमो के साथ पार्टी पर वर्चस्व को लेकर अखिलेश यादव का मुलायम सिंह यादव से विवाद हुआ, तो अखिलेश यादव को यह अहसास हुआ कि यदि वे कांग्रेस के साथ हाथ मिला लें, तो 300 से अधिक सीटों पर वे जीत दर्ज कर सकते हैं. अखिलेश के राजनीतिक गणित के मायने क्या हैं? इसका मुकम्मल जवाब विधानसभा चुनाव परिणाम देंगे.

शीला को सीएम बनाने के एलान से भी हवा नहीं बनी: कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर राहुल गांधी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को यूपी के मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया था. लेकिन राहुल का यह दावं चला नहीं. यूपी में कांग्रेस की हवा नहीं बनी. इसी बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से उनके बेटे अखिलेश यादव की टिकट बंटवारे पर खटक गयी. इस विवाद के चलते अखिलेश यादव अकेले पड़े, तो उन्होंने कांग्रेस से यूपी में गंठबंधन कर चुनाव लड़ने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया, जिसे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव किनारे रख चुके थे.

मजेदार होगा यूपी चुनाव

यूपी चुनाव को लेकर राहुल गांधी ने रहस्य बनाये रखा. रहस्यमय लहजे में बोले कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रदेश में चुनाव ‘मजेदार घटनाक्रम’ होगा. उत्तर प्रदेश में मजा आयेगा.’ नोटबंदी के विरोध में कांग्रेस की ‘जन वेदना’ बैठक के समापन के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने यह बात कही. सपा से गंठबंधन की अटकलें जोरों पर है.

गंठबंधन से कांग्रेस को अधिक सियासी फायदा

इस गंठबंधन से कांग्रेस को यूपी का विकास, अखिलेश यादव का साथ और सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी का अवसर एक साथ मिलता दिख रहा है. फिलहाल अपने-अपने ऐसे ही तर्क और सोच पर अखिलेश और राहुल गठबंधन करके चुनाव लड़ने को तैयार हो गये हैं. दोनों के बीच में कितनी सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा जायेगा? यह भी तय हो गया है. अखिलेश के करीबी बताते हैं कि अखिलेश कांग्रेस और सहयोगी दलों को 120 सीटें देने को तैयार हैं. इसी हफ्ते अखिलेश यादव और राहुल गांधी मिल कर यूपी में चुनाव लड़ने का एलान कर सकते हैं.

मुसलिमों में कमजोर नहीं दिखना चाहते थे

जानकार बताते हैं कि कांग्रेस से मुलायम सिंह के गंठबंधन न करने की वजह यह थी कि कभी कांग्रेस के वोट रहे मुसलमानों को सपा से जोड़ने के बाद मुलायम, कांग्रेस से गंठबंधन कर खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहते थे. यूपीए को 10 साल तक समर्थन देने के बावजूद नेताजी ने कभी यूपी में कांग्रेस का हाथ नहीं थामा. समय-समय पर राज्यसभा व और विधान परिषद में कांग्रेस की मदद कर उसे अपनी हैसियत बतायी.

कांग्रेस 2007 व 2009 में भी सपा का साथ चाहती थी

कांग्रेस ने वर्ष 2007 के विस और 2009 के आम चुनावों के पहले भी सपा से गंठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन हर बार नाकाम रही. बीते चुनाव में भी कांग्रेस ने सपा से गंठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन तब भी बात नहीं बनी. लेकिन अबकी बार यूपी के राजनीतिक कैनवस पर नयी तसवीर उभर रही है.

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