कानपुर : ट्रेन दुर्घटनाओं के लिये बढ़ते रेल यातायात को एक कारण बताते हुये रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए.के. मित्तल ने आज कहा कि उत्तर मध्य रेलवे के कानपुर के आसपास और दिल्ली हावडा रूट पर क्षमता से डेढ गुना यातायात है और 2019 तक जब समर्पित माल ढुलाई गलियारा बन जाएगा, तब इस रुट पर यातायात कम हो जायेगा. रेलवे कर्मचारी 95 प्रतिशत ट्रैक फ्रैक्चर (पटरी में दरार) का पता लगा लेते हैं लेकिन 5 प्रतिशत का पता नहीं लगा पाते जिससे दुर्घटना हो जाती है.
उन्होंने कहा कि सर्दियों के दिनों में ट्रैक फ्रैक्चर की निगरानी के लिये एनसीआर समेत पूरे देश में जहां सर्दी ज्यादा पड रही है वहां के रेल अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे तड़के जब तापमान बहुत कम होता है उस समय पटरियों की निगरानी करें क्योंकि सर्दी में सबसे ज्यादा ट्रैक फ्रैक्चर सुबह तीन से चार बजे के बीच होते हैं. रेल की पटरियों का जांच अभियान 5 जनवरी से 5 फरवरी तक चलाया जा रहा है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन आज कानपुर आये थे. उन्होंने 20 नवंबर को पुखरायां हादसे के स्थल तथा 28 दिसंबर को रुरा ट्रेन हादसे और 12 जनवरी को उन्नाव में मालगाडी पलटने के बाद आज अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कानपुर के आसपास के इलाके में पिछले दो महीनो में तीन ट्रेन हादसे क्यों हुये है इसका कारण जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन कानपुर के आसपास विशेषकर दिल्ली हावडा रुट पर ट्रेन यातायात, क्षमता से करीब डेढ गुना है.
रेलवे बोर्ड पटरियों में गडबडी पकडने के लिये मोबाइल अल्ट्रासोनिक वैन खरीदेगा. मित्तल ने कहा कि 5 जनवरी से 5 फरवरी तक चलाए जा रहे एक विशेष अभियान में रेल अधिकारियों और कर्मचारियों की एक टीम रोज सुबह तीन बजे पटरियों का निरीक्षण करेगी. ‘‘हमें उम्मीद है कि हम वर्ष 2020 तक करीब 90 प्रतिशत तक ट्रेनों को सही समय पर चला सकेंगे.” उन्होंने कहा कि रेलवे एक लाख करोड रपये का रेल संरक्षा कोष बनाने की योजना पर भी काम कर रहा है जिसमें वित्त मंत्रालय के साथ रेल मंत्रालय भी सहयोग करेगा. मित्तल ने कहा कि कानपुर स्टेशन के साथ ही शहर के एक अन्य रेलवे स्टेशन गोविंदपुरी को भी जल्द ही विकसित किया जा रहा है.