”डिम्पल भाभी” और ”प्रियंका दीदी” मिलकर बदलेंगी यूपी का समीकरण ?
लखनऊ : राजनीतिक परदे पर भले ही वह परिवार के वरिष्ठ लोगों की छत्रछाया में रही हों, लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा सांसद डिम्पल यादव की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है. आज भी जब पति अखिलेश यादव पार्टी में जारी घमासान में व्यस्त हैं लेकिन डिम्पल उन्हें रोज की रुटीन याद […]
लखनऊ : राजनीतिक परदे पर भले ही वह परिवार के वरिष्ठ लोगों की छत्रछाया में रही हों, लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा सांसद डिम्पल यादव की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है. आज भी जब पति अखिलेश यादव पार्टी में जारी घमासान में व्यस्त हैं लेकिन डिम्पल उन्हें रोज की रुटीन याद कराना नहीं भूलती हैं. रोज सुबह अखिलेश को जिम से लेकर नाश्ते की याद वह करातीं हैं.
यहीं नहीं डिम्पल अखिलेश के व्यस्त रहने के कारण बच्चों की देखभाल करतीं हैं और उन्हें पिता की गैरमौजूदगी का अहसास नहीं होने देतीं हैं. कन्नौज से दूसरी बार सांसद डिम्पल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं.
इतने व्यस्त रहने के बीच भी समय निकालतीं हैं और राजनीति के दांप-पेंच में दो-दो हाथ करतीं हैं. वह कांग्रेस के साथ गंठजोड़ के प्रयास में अपने पति के साथ हैं. कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि अखिलेश चूंकि परिवार और पार्टी के मसलों में फंसे हैं इसलिए डिम्पल गंठबंधन के लिए बातचीत कर रही हैं. उन्होंने बताया कि डिम्पल अपनी पार्टी के लिए मुख्य वार्ताकार की भूमिका में हैं.
कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी मुख्य रणनीतिकार के रूप में कार्य करती लगती हैं. डिम्पल और प्रियंका की दिल्ली में दो दिन पहले कम से कम एक बैठक हो चुकी है. अखिलेश पार्टी की अंतर्कलह के केंद्र में हैं. उनके करीबी राम गोपाल यादव दिल्ली में चुनाव आयोग के साथ बैठकों में व्यस्त हैं, ऐसे में डिम्पल ने गंठबंधन को अंतिम रूप देने के मकसद से प्रक्रिया शुरू कर दी है.
कांग्रेस कार्यकर्ता भी चाहते हैं गंठबंधन
डिम्पल और प्रियंका की महत्वपूर्ण भूमिका सहित गंठजोड़ की संभावनाएं इस तथ्य से और बलवती हो गयी हैं कि इलाहाबाद में हाल ही में दोनों के एक साथ पोस्टर नजर आये थे. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल द्विवेदी ने हालांकि कहा कि पार्टी का उन पोस्टरों से कोई लेना देना नहीं हैं. लेकिन, कांग्रेस के ग्रासरूट स्तर के कार्यकर्ताओं का मानना है कि कांग्रेस – सपा गंठबंधन से दोनों का हित है, विशेषकर कांग्रेस का हित है जो 27 साल से उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर है. वैसे चुनाव आयोग द्वारा सपा के बारे में फैसला आने के साथ ही गंठजोड़ के बारे में घोषणा जल्द हो सकती है. मुलायम और अखिलेश गुट ने सपा के चुनाव निशान ‘साइकिल’ पर अपना – अपना दावा पेश किया है. चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि फैसला जल्द किया जायेगा क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 17 जनवरी से प्रारंभ हो रही है. अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के साथ गंठजोड़ का समर्थन किया है. उनका कहना था कि अगर गंठजोड़ हुआ तो 403 सदस्यीय विधानसभा में 300 से अधिक सीटें जीतने में मदद मिलेगी. मुलायम हालांकि इसके विरोध में हैं.