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सबको है इंतजार आखिर कबसे राहुल को पिछली सीट पर बैठाकर ‘साइकिल” की सवारी करेंगे अखिलेश ?

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर वर्चस्व को लेकर लगभग दो महीने तक चले शह मात के खेल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पछाड़ कर अंतत: पार्टी और साइकिल हासिल कर ली. प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले दो दिनों में सूबे के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर वर्चस्व को लेकर लगभग दो महीने तक चले शह मात के खेल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पछाड़ कर अंतत: पार्टी और साइकिल हासिल कर ली. प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले दो दिनों में सूबे के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गंठबंधन का एलान कर सकते हैं. जानकारों की मानें तो गंठबंधन की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी है अब केवल इसको अमलीजामा पहनाया जाना बाकी है. इसके संकेत कल अखिलेश की जीत के बाद सपा नेता रामगोपाल यादव दे चुके हैं.

कुछ दिन पूर्व ही सपा नेता और कन्नौज की सांसद डिंपल यादव ने प्रियंका गांधी से मिलकर गंठबंधन की खबर को और हवा दे दी. प्रियंका गांधी को उनके जन्मदिन पर बधाई देकर डिंपल और सीएम अखिलेश ने यह साबित कर दिया था कि दोनों पार्टियों के बीच बहुत कुछ हो चुका है केवल गंठबंधन का औपचारिक ऐलान बाकी है. कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने भी ऐसे संकेत कुछ दिन पूर्व पार्टी के एक कार्यक्रम में दिया था. उन्होंने कांग्रेस के एक कार्यक्रम में सपा के साथ गंठबंधन पर कहा था कि यूपी में सबकुछ अच्छा होगा.

इधर इस गंठबंधन के पहले चुनाव आयोग ने सोमवार को अखिलेश खेमे को असली समाजवादी पार्टी करार देते हुए उन्हें साइकिल चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया. इस तरह से 25 साल पहले बनी समाजवादी पार्टी अखिलेश की हो गयी. उन्हें इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मान्यता मिल गयी. आयोग के फैसले की जानकारी होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश पिता का आशीर्वाद लेने मुलायम के बंगले पर भी गये.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नसीम जैदी के दस्तखत से सोमवार की शाम जारी आदेश में आयोग ने कहा कि अखिलेश के नेतृत्ववाला खेमा ही समाजवादी पार्टी है. उसे ही पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न साइकिल पाने का हक है. आदेश पर जैदी के अलावा दो अन्य चुनाव आयुक्तों के भी हस्ताक्षर हैं. 42 पन्ने के अपने आदेश में आयोग ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार के बाद यह पाया कि अखिलेश खेमा पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न -आरक्षण और आवंटन आदेश 1968 के मुताबिक साइकिल चुनाव चिह्न के इस्तेमाल के हकदार हैं.

उधर, आयोग के फैसले की जानकारी होते ही अखिलेश समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. वे बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास कालीदास मार्ग पर जमा होने लगे. विक्रमादित्य मार्ग पर भी जहां कि सीएम अखिलेश व उनके पिता मुलायम सिंह अलग-अलग बंगलों में रहते हैं, समर्थकों का तांता लग गया. मुख्यमंत्री के बंगले पर उनके एक उत्साही समर्थक ने कहा कि ईश्वर ने हमारी प्रार्थना सुन ली. उधर, राकांपा और तृणमूल कांग्रेस ने अखिलेश के पक्ष में समर्थन जताते हुए उन्हें बधाई दी है.

आयोग के फैसले के कुछ घंटे पहले ही अखिलेश खेमे ने उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए पिता मुलायम के नेमप्लेट के नीचे उनकी नेमप्लेट लगा दी थी. सपा ने अभी हाल ही में अपनी स्थापना का रजत जयंती समारोह मनाया था. इसके कुछ ही दिन बाद पिता मुलायम की इच्छा के विपरीत अखिलेश व उनके चाचा रामगोपाल खेमे ने पार्टी का अधिवेशन आयोजित किया, उसमें अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया. 2012 में बहुमत पाने के बाद मुलायम ने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया था. वैसे पार्टी में तभी से खेमे बंदी के सुर उठने लगे थे. मजेदार बात यह थी कि इस खेमे बंदी में अखिलेश को उनके चचेरे चाचा और पार्टी के शक्तिशाली महासचिव रामगोपाल यादव का समर्थन था. वहीं मुलायम के साथ उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह थे.

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