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यूपी विधानसभा चुनाव : पश्चिमी यूपी में हरित प्रदेश का मुद्दा हवा

!!लखनऊ से राजेंद्र कुमार!! जातीय समीकरणों के ताने-बाने में उलझे इस बार के चुनावों में पृथक पश्चिमी यूपी यानी हरित प्रदेश के गठन का मुद्दा हवा हो गया. प्रथम चरण के जिन 15 जिलों में 11 फरवरी को मतदान होना है, 11 जिलों में हरित प्रदेश का मुद्दा ही हर चुनावों में राजनीतिक दलों की […]

!!लखनऊ से राजेंद्र कुमार!!

जातीय समीकरणों के ताने-बाने में उलझे इस बार के चुनावों में पृथक पश्चिमी यूपी यानी हरित प्रदेश के गठन का मुद्दा हवा हो गया. प्रथम चरण के जिन 15 जिलों में 11 फरवरी को मतदान होना है, 11 जिलों में हरित प्रदेश का मुद्दा ही हर चुनावों में राजनीतिक दलों की खुराक रहा है.

लेकिन इस बार अभी तक किसी भी दल ने इस मुद्दे को उठाने की हिम्मत नहीं जुटायी है. यह हाल है जबकि प्रथम चरण के चुनावों के लिए 17 जनवरी से नामांकन शुरू हो गया. हरित प्रदेश के सबसे प्रमुख समर्थक रालोद से लेकर इसका विरोध करनेवाली सपा ने अब तक मुद्दे पर एक शब्द भी जनता के बीच नहीं बोला है. बड़े दलों के रुख के चलते इस विधानसभा चुनाव में हरित प्रदेश यानी पृथक यूपी प्रदेश का मुद्दा खो सा गया है. जबकि आजादी के बाद 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन के समय से ही पश्चिम को अलग राज्य बनाने की मांग उठती रही है. राज्य के 97 विधायकों द्वारा हस्ताक्षर कर सौंपे गये संयुक्त मांगपत्र का समर्थन आयोग के सदस्य केएम पणिक्कर ने भी किया था. पृथक राज्य बनाने की संस्तुति भी की थी. तब से अब तक अलग-अलग नामों से पृथक राज्य आंदोलन होते रहे हैं. पिछले एक दशक से रालोद सुप्रीमो अजित सिंह पश्चिमी यूपी के 22 जिलों को मिला कर हरित प्रदेश बनाने के मुद्दे पर सियासत करते रहे हैं. 70 हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल पर प्रस्तावित इस अलग राज्य में इमरजेंसी के बाद बनी जनता पार्टी ने 1977 के चुनाव में घोषणापत्र में पश्चिमी यूपी बनाने को शामिल किया था.

वर्तमान में केवल सपा को छोड़कर कोई भी अहम दल पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग का विरोधी नहीं है. हालांकि कल्याण सिंह के रहते भाजपा के नेताओं ने पश्चिमी यूपी को मुसलिम प्रदेश बनने का भय दिखाकर विरोध किया था. लेकिन भाजपा के मुख्य एजेंडे में छोटे राज्यों का निर्माण शामिल है. मायावती अलग राज्य का प्रस्ताव भी पारित कराकर केंद्र को भेज चुकी हैं. रालोद प्रमुख अजित सिंह तो वर्ष 2002 का चुनाव में हरित प्रदेश के मुद्दे पर लड़े. इसके बाद से उन्होंने हर चुनाव में इसे पार्टी का मुद्दा बनाया. लेकिन इस बार अजित और जयंत इसे जनता के बीच नहीं उठा रहे हैं. जातीय खेमों में बटे पश्चिमी यूपी में अब रालोद, बसपा, कांग्रेस और नोटबंदी को लेकर भाजपा व प्रधानमंत्री पर ही निशाना साध रही है. ऐसा क्यों हो रहा है? इस पर मेरठ निवासी अवधेश कहते हैं कि पृथक राज्य का निर्माण आसान नहीं है. केंद्र पर काबिज दल की मंशा होगी तब ही हरित प्रदेश बनेगा. यहां की जनता जान चुकी है.

24 जनवरी तक होगा नामांकन दाखिल

चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गयी. इसके साथ ही पूर्वाह्न 11 बजे से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी. पहले चरण में राज्य के मुसलिम बहुल पश्चिमी क्षेत्र के 15 जिलों की 73 सीटों के लिए 11 फरवरी को मतदान होगा. चुनाव आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन की प्रक्रिया 24 जनवरी तक चलेगी. अगले दिन नामांकन पत्रों की जांच होगी. नाम वापसी की आखिरी तारीख 27 जनवरी होगी. पहले दो चरणों में मतदाताओं, खासकर अल्पसंख्यक वोटरों का रुझान मुसलिम वर्ग के रख को तय कर सकता है. इससे तय हो जायेगा कि चुनावी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है या भाजपा और बसपा के बीच, अथवा यह त्रिकोणीय लड़ाई होगी. पहले चरण का चुनाव मुसलिम बहुल इलाकों में हो रहा है, इसलिए असदउद्दीन ओवैसी की अगुवाईवाली एआइएमआइएम भी असर डाल सकती है.

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