गंठबंधन: सपा-कांग्रेस ने बदले समीकरण, अल्पसंख्यक वोटों के लिए फिक्रमंद बसपा

लखनऊ : चुनाव आयोग की ओर से अखिलेश यादव गुट को असली समाजवादी पार्टी (सपा) ठहराये जाने और सपा के कांग्रेस से गंठबंधन तय होने के बाद राज्य की चुनावी तसवीर पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा. प्रदेश में प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और बसपा को अपनी रणनीति में रद्दोबदल करनी पड़ सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2017 7:32 AM

लखनऊ : चुनाव आयोग की ओर से अखिलेश यादव गुट को असली समाजवादी पार्टी (सपा) ठहराये जाने और सपा के कांग्रेस से गंठबंधन तय होने के बाद राज्य की चुनावी तसवीर पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा. प्रदेश में प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों भाजपा और बसपा को अपनी रणनीति में रद्दोबदल करनी पड़ सकती है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा और बसपा की निगाहें सपा में चल रहे अंदरुनी झगड़े पर टिकी थीं. परंपरागत रूप से मुसलमानों द्वारा समर्थित पार्टी मानी जानेवाली सपा में जारी कलह का फायदा उठाने की कोशिश कर रही बसपा खुद को भाजपा को रोकने की क्षमतावाली एकमात्र पार्टी के रूप में पेश कर मुसलमानों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही थी.

दूसरी ओर, भाजपा भी सपा में झगड़े की शक्ल बदलने के साथ-साथ रणनीति भी बदल रही थी. हालांकि उसका ज्यादातर जोर कानून-व्यवस्था को खराब ठहराने और विकास का पहिया रूक जाने के आरोप लगाने पर ही रहा. हालांकि अब हालात बदल गये हैं. अब बसपा और भाजपा को रणनीति में जरूरी बदलाव करने पड़ेंगे. बसपा ने तो इसकी शुरुआत भी कर दी है. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मंगलवार को लखनऊ में प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद से मुलाकात की. कहा कि अगर प्रदेश में बसपा की सरकार बनेगी, तो किसी से नाइंसाफी नहीं होने दी जायेगी.

48 से 100 घंटें में होगी घोषणा

सपा और कांग्रेस के बीच गंठबंधन की सुगबुगाहट तो पहले से ही थी, लेकिन सपा में चुनाव चिह्न और पार्टी पर कब्जे की लड़ाई लंबी खिंचने से कांग्रेस भी गंठबंधन की संभावनाओं को लेकर पसोपेश में दिख रही थी. अब तसवीर साफ हो जाने से कांग्रेस ने गंठजोड़ की घोषणा कर दी. अब दोनों दलों के नेता सीटों के बंटवारे पर मंथन कर रहे हैं. कांग्रेस अधिकतम 150 सीटें मांग रही है. जब सपा का नेतृत्व इतने पर राजी नहीं है. इस बारे में जब कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सीटों की घोषणा में 48 घंटे से लेकर 100 घंट भी लग सकते हैं. सब को भरोसे में लेना जरूरी है.

प्रियंका और जयंत की मिटिंग रही बेनतीजा

उधर, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को रालोद महासचिव जयंत चौधरी ने प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात की. इस दौरान गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे. दोनों नेताओं ने सीट बंटवारे पर चर्चा की. कांग्रेस जहां अपने कोटे की 128 में से रालोद को 21 सीटें देने की पेशकश कर रही थी. वहीं जयंत 36 सीटों की मंाग पर अड़े थे. जयंत का तर्क था पिछले चुनाव में 12 प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे. नौ विधायक जीते. इसलिए 21 सीटों के अलावा 10 सीटें और चाहिए.

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