विनय कटियार बार-बार क्यों देते हैं ऐसे विवादित बयान?
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद विनय कटियार एक बार फिर विवादों मेंहैं. भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने से वंचित रहेविनय कटियार ने इस बार प्रियंका गांधी पर बेतुका बयान दिया है.उन्होंने कहा है कि प्रियंका केप्रचारकरने से कोईफर्क नहीं पड़ेगा, उनकी पार्टीमेंउनसेसुंदरचेहरे हैं, जो अभिनय व […]
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद विनय कटियार एक बार फिर विवादों मेंहैं. भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने से वंचित रहेविनय कटियार ने इस बार प्रियंका गांधी पर बेतुका बयान दिया है.उन्होंने कहा है कि प्रियंका केप्रचारकरने से कोईफर्क नहीं पड़ेगा, उनकी पार्टीमेंउनसेसुंदरचेहरे हैं, जो अभिनय व विभिन्न क्षेत्राें से हैं.
प्रियंका ने इस बयान को भाजपा की मानसिकताको दर्शाने वाला बताया. कांग्रेस ने मांग की है कि कटियार के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को माफी मांगनी चाहिए. प्रियंका गांधी पर दिया उनका बयान भारतीय जनता पार्टी के लिए सिरदर्द बनगया है. पार्टी बचाव की मुद्रा में है और कांग्रेस इस बयान के दम पर पार्टी की मानसिकता पर सवाल खड़े कर रही है.
विनयकटियार का विवादित बयानों से पुराना नाता रहा है. कटियार पीएम मोदी को सलाह देने से भी पीछे नहीं रहते उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर पर विशेष ध्यान देने और अयोध्या जाकर दर्शन करने की सलाह दी थी. उन्होने प्रदेश की राजनीति में राम मंदिर के मुद्दे को अहम बताया था.
कोर्ट ने धर्म जाति के आधार पर वोट मांगने को गलत बताया तो कटियार ने कहा, वह राम मंदिर के मुद्दे पर चुनाव तक चुप रहेंगे. विनय कटियार कई बार अपने बयानों पर घिरे हैं उन्होंने परिवर्तन यात्रा के दौरान जनता से वाद कर दिया कि अगर भाजपा विधानसभा चुनाव जीत गयी तो अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ कर दिया जाएगा.
इतना ही नहीं एक सभा में उन्होंने कहाथा कि देश का धार्मिक आधार पर बंटवारा रोकना है तो तीन तलाक पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगाना होगा. एक व्यक्ति चार-चार शादी कर बच्चे पैदा कर रहा है, तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के साथ ही नसबंदी भी जरूरी है.
सवाल उठता है कि विनय कटियार इस तरह के बयान बार-बार क्यों देते हैं? 1990 के दशक में हिंदुत्व की लहर पर सवार भाजपा के उभरते हुए नेता विनय कटियार थे, लेकिन बाद में उनका वैसा आभामंडल नहीं रहा. राष्ट्रीय ही नहीं प्रदेश की राजनीति में उनका प्रभाव पूर्व की तरह नहीं रहा. राजनीतिक प्रेक्षक उन्हें भाजपा में हाशिये पर भेज दिये गये नेता मानते हैं.ऐसे मेंबड़ासवाल यह है कि क्या उनका यह बयानअपनी इसस्थितिकेप्रति उनके मन में क्षोभ का प्रकटीकरण है?