जाटलैंड में 11 को चुनाव : क्या मुसलिम व जाट वोट तय करेंगे राजनीतिक दलों का भविष्य?

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को है, जिसके लिए आज प्रचार का अंतिम दिन है. पहले चरण का मतदान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के 73 सीट पर होना है. वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 26 जिले आते हैं, इसे जाटलैंड के रूप में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2017 1:50 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को है, जिसके लिए आज प्रचार का अंतिम दिन है. पहले चरण का मतदान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के 73 सीट पर होना है. वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 26 जिले आते हैं, इसे जाटलैंड के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इन जिलों में मुस्लिम, दलित और ठाकुर आबादी भी बहुत हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल उन्हें लुभाने में लगे हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार मुसलमान वोटर्स जिसके साथ होंगे, वही पार्टी विजयश्री प्राप्त करेगी.

मुसलमान वोटर्स पर है सबकी नजर
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है. पूरे देश में मुसलमानों की आबादी 14 प्रतिशत है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आबादी 19 प्रतिशत है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 26 जिले हैं, जिनमें से 21 जिलों में 20 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं. रामपुर में सबसे ज्यादा 50.57 प्रतिशत मुसलमान हैं. मुरादाबाद में 47.12, बिजनौर में 43, सहारनपुर में 42, मुजफ्फरनगर में 42 और ज्योतिबाफुलेनगर में 40 प्रतिशत मुसलमान हैं. मेरठ, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर और बाराबंकी जैसे जिलों में 20 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं. ऐसे में हर पार्टी यह जानती है कि इनका वोट कितना मायने रखता है. समाजवादी पार्टी हमेशा से मुसलमानों की हितैषी रही है, जिसके कारण मुलायम सिंह को मुल्ला मुलायम जैसी उपाधियां भी मिलीं. लेकिन जानकार बताते हैं कि प्रदेश में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद मुसलमानों का सपा से मोहभंग हुआ और इस चुनाव में वे हाथी के साथ जा सकते हैं. सपा में जारी घमासान ने भी मुसलमानों को भ्रमित किया है. भाजपा की बढ़ती शक्ति से भी मुस्लिम वोटर्स घबराये हुए हैं. ऐसे में जानकार बताते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार वोट मुसलमान एक छत्र के नीचे आयेंगे इसकी संभावना कम ही है, लेकिन वे जिसके साथ जायेंगे, उन्हें जीतने से कोई नहीं रोक पायेगा.
क्या मुसलिम व जाट अलग-अलग दिशा में करेंगे वोट?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की आबादी छह प्रतिशत है. वे हमेशा से इस क्षेत्र में मजबूत रहे हैं. राजनीति के जानकार बताते हैं कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से मुसलिम व जाट समुदाय में खाई उत्पन्न हो गयी है और वे अलग-अलग राजनीतिक धड़े का समर्थन कर सकते हैं. ऐसे में मुसलमान और जाट को एक साथ रखना राजनीतिक पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. ऐसे में इनका वोटिंग पैटर्न कैसा राजनीतिक परिदृश्य बनायेगा यह समय ही बतायेगा. और, तब यह भी पता चल सकेगा कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बनी इस धारणा में कितना दम है.

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