UP Election : अयोध्या में पीएम मोदी का न आना भी मुद्दा!

!!कृष्ण प्रताप सिंह!! लखनऊ : अयोध्या और उसके आसपास के विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता, वे किसी भी पार्टी व प्रत्याशी के समर्थक क्यों न हों, सोमवार को बूथों पर पहुंचेंगे, तो उन्हें गिला होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके पास वोट मांगने नहीं आये! 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के प्रत्याशी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2017 7:19 AM

!!कृष्ण प्रताप सिंह!!

लखनऊ : अयोध्या और उसके आसपास के विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता, वे किसी भी पार्टी व प्रत्याशी के समर्थक क्यों न हों, सोमवार को बूथों पर पहुंचेंगे, तो उन्हें गिला होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके पास वोट मांगने नहीं आये! 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के प्रत्याशी लल्लू सिंह का प्रचार करने अयोध्या के जुड़वां शहर फैजाबाद आये थे, भले ही अपने राम मंदिर समर्थक मतदाताओं को निराश कर गये थे.

लोकसभा चुनाव की ही तरह भाजपा इस चुनाव में भी प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत करिश्मे पर ही सर्वाधिक निर्भर है और राम मंदिर निर्माण को भी अपने घोषणा पत्र में शामिल कर रखा है. इसलिए मतदाता आश्वस्त थे कि प्रदेश में हो रही प्रधानमंत्री की ताबड़तोड़ रैलियों में कम से कम एक पर तो उनका हक बनता ही है, लेकिन यह हक अंतत: उन्हें नहीं ही मिला.

प्रचार अभियान खत्म होने के एक दिन पहले शुक्रवार को फैजाबाद में समाजवादी पार्टी की रैली में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे मुद्दा भी बनाया. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने अपनी फतेहपुर की रैली में मेरी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह होली-दीवाली और रमजान पर बिजली आपूर्ति में सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव करती है. मैंने उन्हें यही बात गंगा मैया की सौगंध लेकर कहने की चुनौती दी थी. लेकिन, वे ऐसा नहीं कर सकते थे, इसलिए बस्ती व बहराइच से ही लौट गये.’

मुख्यमंत्री यह बात कह रहे थे तो प्रधानमंत्री सरयू नदी के उस पार गोंडा में रैली कर रहे थे. दोनों के बीच सवाल-जवाब का जो सिलसिला चल रहा है, उसके मद्देनजर भी मतदाताओं की समझ बन गयी थी कि प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को करारा जवाब देने अगले दिन, बिना निर्धारित कार्यक्रम के भी, अयोध्या पहुंच सकते हैं.

मगर, आखिरी पल तक इसकी लौ लगाये बैठे मतदाता अंतत: निराश होकर प्रधानमंत्री की इस बेरुखी के सबब पर विचार करते नजर आये. फिलहाल, भाजपा के स्थानीय नेताओं के पास इसका ‘पोलिटिकली करेक्ट’ उत्तर यह रहा कि प्रधानमंत्री उन क्षेत्रों में रैलियां कर रहे हैं जहां पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है. लेकिन, सवाल उठ रहा कि प्रधानमंत्री तो राहुल की अमेठी और मायावती की कर्मभूमि अंबेडकरनगर में भी नहीं गये. भाकपा प्रत्याशी सूर्यकांत पांडेय कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री के अयोध्या आने में सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि उन्हें अयोध्या विवाद को लेकर अपना रुख साफ करना पड़ता, जो वे चाहते नहीं थे.’

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