नरेंद्र मोदी के वाराणसी रोड शो के मायने
आरके नीरद वाराणसी भले कभी कांग्रेस का गढ़ रहा हो, अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के रूप में ही उसकी राजनीतिक पहचान है. 2014 में नरेंद्र मोदी यहां से सांसद चुने गये और उसके बाद यहां का राजनीतिक समीकरण तेजी से बदला, ऐसा माना जा रहा है, मगर भाजपा की पैठ लोगों […]
आरके नीरद
वाराणसी भले कभी कांग्रेस का गढ़ रहा हो, अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के रूप में ही उसकी राजनीतिक पहचान है. 2014 में नरेंद्र मोदी यहां से सांसद चुने गये और उसके बाद यहां का राजनीतिक समीकरण तेजी से बदला, ऐसा माना जा रहा है, मगर भाजपा की पैठ लोगों में कितनी गहरी हुई, इसकी परख तो इसी विधानसभा चुनाव में होनी है. लिहाजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी रोड शो के बहुत सारे राजनीतिक मायने हैं.
भाजपा के लिए जितना अहम पूरे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव है, उतना ही वाराणसी भी. भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति की दिशा इस उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से तय होगी. इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि वह राज्य की सत्ता में आती है या नहीं. वाराणसी जिले की विधानसभा सीटों के नतीजे भी ऐसे ही अहम होंगे. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर जुड़ी है.
Unforgettable moments in Kashi. It is always special being here. My gratitude to the people for the affection. Truly humbled. pic.twitter.com/Ehpn4Dl5AI
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2017
वाराणसी जिले में विधानसभा की आठ सीटें हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर नरेंद्र मोदी का करिश्मा दिखा था और सभी सीटों पर भाजपा का वोट प्रतिशत ज्यादा रहा. 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इन आठ से महज तीन सीटें जीत सकी थी. ये तीनों सीटें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की हैं. उनके संसदीय क्षेत्र में पांच सीटें हैं. इनमें से तीन पर उनकी पार्टी भाजपा का तथा एक-एक पर सपा और अन्य दल का कब्जा है. जिले की बात करें, तो आठ में से केवल तीन ही सीटें भाजपा ने पिछले चुनाव में जीती थीं. बाकी की पांच सीटों में से दो-दो सीटें बसपा और सपा के तथा एक सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. इस बार कांग्रेस-सपा साथ हैं. उधर भाजपा में अंतरकलह असरदार दिख रहा है. ऐसे में भाजपा की मुश्किलें कम नहीं हैं.
चूंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र और संसदीय जिला है. लिहाजा विधानसभा की तीन सीटों के आंकड़े को पार करना उनके लिए उतनी ही अहमियत रखता है, जितनी कि राज्य की कुल 403 में भाजपा के लिए ज्यादा-से-ज्यादा सीटों का जीतना.
प्रधानमंत्री के रोड शो की तारीख का भी अपना मायने है. छठे चरण के मतदान के दिन उनके वाराणसी में रोड शो से पूर्वांचल की 89 सीटों पर भाजपा के पक्ष में कुछ-न-कुछ असर पैदा होना स्वाभाविक है. रोड शो वाले दिन छठे चरण में सात जिलों की 49 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई. ये सीटें महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया जिले की हैं. चार दिन बार 8 मार्च को सात जिलों की 40 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे. ये सीटें गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और जौनपुर जिले हैं. इन सभी जिलों का केंद्र वाराणसी है. पूर्वांचल के विषय में माना जाता है कि जिल दल को यहां बढ़त मिलती है, राज्य की सत्ता उसकी झोली में होती है.
रोड शो के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनासर के साथ-साथ पूर्वाचल के लोगों तक अपना संदेश पहुंचाया. विक्षुब्ध भाजपा नेताओं को मनाने की कोशिश भी की. हालांकि विपक्ष इसे चुनावी नतीजे की संभावनाओं के मद्देनजर भाजपा की बेचैनी का परिणाम करार दे रहा है.