!!आर राजगोपालन, वरिष्ठ पत्रकार!!
भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव में भारी जीत दर्ज कर चुकी है. अब सवाल यह है कि इस जीत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी तस्वीर क्या उभरेगी. जुलाई, 2017 में भारत के राष्ट्रपति पद पर मोदी के पसंदीदा व्यक्ति आसीन होंगे, राज्यसभा में भाजपा की संख्या में बड़ी बढ़त हासिल होगी, अरविंद केजरीवाल का 2019 में प्रधानमंत्री बनने का सपना बिखर गया है, राहुल गांधी का नेतृत्व असफल साबित हुआ, जिस तरह से तमिलनाडु में द्रमुक और पश्चिम बंगाल में माकपा की हार हुई, और अब अखिलेश यादव अपनी हार के बाद 2019 के आम चुनाव में उन्हें कांग्रेस के नजदीक जाने से पहले दो बार सोचना होगा, क्योंकि कांग्रेस के साथ ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में उन्हें निराश किया है. की वजह से ही उत्तर प्रदेश में सपा की हवा निकल गयी. मोदी और भाजपा सुधार के और कदम उठायेंगे और कमजाेर तबके के साथ न्याय करेंगे. विमुद्रीकरण की तरह ही मोदी अब बेनामी सौदा विधेयक जैसे आक्रामक कदम भी उठायेंगे.
बड़ी तस्वीर का एक अन्य पहलू यह है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को नये तरीके से खुद को तैयार करना होगा तथा दलित और मुसलमान मतदाताओं के गठजोड़ पर अपने फोकस के बारे में पुनर्विचार करना होगा. रही बात कांग्रेस की, तो जैसा कि जैसा पी चिदंबरम कहते रहे हैं कि कांग्रेस कोई निजी उपक्रम नहीं है जिसका अगुवाई केवल एक परिवार करता रहे, आंतरिक स्तर पर शक्ति का विकेंद्रीकरण होना चाहिए. उत्तर प्रदेश के चुनाव से उभरते परिदृश्य के ये बड़े सबक हैं.
इन बिंदुओं पर कुछ विस्तार से चर्चा करते हैं.
भारत के राष्ट्रपति पद के लिए मोदी अब अपनी पसंद के व्यक्ति का चयन करेंगे. भारत में पहली बार विशुद्ध रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति भवन में निवास करेगा. इस पद के लिए कई दावेदार हैं. यहां तक कि लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत भी इस दौड़ में शामिल होंगे. लेकिन मोदी के मन में क्या है, वह तो अप्रैल में ही पता चलेगा. वर्ष 2014 में मोदी की जीत का एक मतलब यह भी था कि राष्ट्रपति भवन के लिए आरएसएस का कोई उम्मीदवार हो. उत्तर प्रदेश में जीत के बाद मोदी के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान के लिए अधिक विधायकों के होने से मोदी के पास चयन के लिए पूरी आजादी होगी.
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस राज्यसभा में पेश होने वाले सभी विधेयकों और संशोधनों पर अड़ंगा लगाती रही है, उससे अब राहत मिलेगी और मोदी लगभग सभी विधेयकों और सुधारों को पारित करा लेंगे. मोदी राज्यसभा में बेनामी लेन-देन से संबंधित विधेयक पेश करेंगे, जिससे सबसे गरीब तबके को मदद मिलेगी.
अब कांग्रेस के वंशवादी शासन का अंत हो जायेगा. उदाहरण के लिए, राहुल गांधी को अधिक छुट्टियां लेनी होंगी और अब उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दो साल तक भविष्य के बारे में अध्ययन करना चाहिए. राष्ट्रीय परिदृश्य में सोनिया गांधी के नहीं रहने से जो खाली जगह होगी उसे राहुल गांधी को अधिक आत्मविश्वास के साथ भरना होगा.