100 साल में पहली बार बंद रही ”टुंडे कबाबी” की दुकान, पढें आखिर दुकान में क्यों लग सकता है ताला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अवैध बूचड़खाने बंद कराने का काम जारी है, जिसके कारण मीट और बीफ की सप्लाई में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इस वजह से लखनऊ की मशहूर ‘टुंडे कबाबी’ दुकान 110 सालों में पहली बार बुधवार को बंद रही. शायद ही कोई नॉन वेज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2017 8:30 AM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद अवैध बूचड़खाने बंद कराने का काम जारी है, जिसके कारण मीट और बीफ की सप्लाई में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इस वजह से लखनऊ की मशहूर ‘टुंडे कबाबी’ दुकान 110 सालों में पहली बार बुधवार को बंद रही. शायद ही कोई नॉन वेज प्रेमी हो जो ‘टुंडे कबाबी’ की दुकान से परिचित न हो.

बुधवार को माल खत्म होने के कारण बंद हुई दुकान की वजह से इस दुकान के कबाब पसंद करने वालों को निराशा हाथ लगी, हालांकि कुछ समय के बाद दुकान फिर से खुल गयी. टुंडे कबाबी के मालिक अबू बकर ने मामले को लेकर कहा, कि बूचड़खाने बंद होने की वजह से मटन और मीट की जबरदस्त कमी हो गयी है, इस वजह से दुकान पर अब सिर्फ चिकन ही बिक्री हो पा रही है.

दुकान के मालिक ने यह भी कहा कि अवैध बूचड़खानों को बंद करने का मुख्‍यमंत्री का फैसला बहुत अच्छा है, लेकिन उन्होंने अनुरोध किया कि लीगल और लाइसेंस वाले बूचड़खानों पर पाबंदी नहीं लगायी जाए. आपको बता दें कि 1905 में लखनऊ के अकबरी गेट इलाके में शुरू हुई इस दुकान का कबाब और पराठा पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन भैंसे के मीट की कमी की वजह से अब इस दुकान पर चिकन के कबाब ही मिल रहे हैं.

दुकान में कार्यरत एक कर्मचारी का कहना है कि अगर ऐसी ही हालत रही तो शायद इस दुकान को बंद करने की नौबत आ जाए.

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