तुलसीदास ने अकबर को कभी राजा नहीं माना, कहा- राजा एक ही हैं, भगवान राम : आदित्‍यनाथ

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद पहलीं बार अपने क्षेत्र पहुंचे मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ योगी ने एक कार्यक्रम में कहा कि संत तुलसीदासजी ने अभी भी अकबर को अपना राजा नहीं माना, उनका कहना था कि राजा एक ही हैं- भगवान राम. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार वहां पहुंचे आदित्यनाथ योगी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 26, 2017 3:58 PM

गोरखपुर : उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद पहलीं बार अपने क्षेत्र पहुंचे मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ योगी ने एक कार्यक्रम में कहा कि संत तुलसीदासजी ने अभी भी अकबर को अपना राजा नहीं माना, उनका कहना था कि राजा एक ही हैं- भगवान राम. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार वहां पहुंचे आदित्यनाथ योगी का गोरखपुर की जनता ने जोरदार स्वागत किया. रविवार को आदित्यनाथ का गोरखपुर में दूसरा दिन है.

गोरखपुर दौरे के दूसरे दिन योगी ने योगीराज बाबा गंभीरनाथ के शताब्दी पुण्यतिथि कार्यक्रम के समापन में हिस्सा लिया. मौके पर उन्होंने बाबा गंभीरनाथ पर लिखी किताब योगीराज ‘बाबा गंभीरनाथ पुण्यतिथि शताब्दी वर्ष’ का विमोचन किया. अपने संबोधन में योगी ने मध्‍यकाल के संतों का जिक्र किया. इसी दौरान उन्‍होंने संत तुलसीदास की कथा भी सुनायी. योगीराज गंभीरनाथ के परलोकगमन के 100 साल पूरा होने के मौके पर आयोजित इस समारोह में देश भर के कई संत जुटे थे.

योगी जी ने कहा कि मध्‍यपाल में अब अकबर बादशाह हुए तब उन्‍होंने संत तुलसीदास को अपने नवरत्‍नों में शामिल करनी चाहि. इसके लिए उन्‍होंने अपने सिपाही को तुलसीदास के पास भेजा. सिपाही ने तुलसीदास से कहा कि आपको बादशाह ने बुलाया है. तुलसीदान ने पूछा बादशाह क्‍या होता है. सिपाही बोला बादशाह मतलब राजा. इसके बाद तुलसीदास ने कहा कि राजा तो एक ही हैं और वो हैं श्रीराम. उसी समय तुलसीदास ने नारा दिया राजा रामचंद्र की जय.

पहले दिन योगी ने शासन की योजना का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प दोहराते हुए उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में सबका सहयोग मांगा. शहर में हर ओर योगी योगी का जयघोष हो रहा था और जहां जहां से मुख्यमंत्री गुजर रहे थे, उनका अभिवादन करने के लिए लोगों में होड़ मची थी. भाजपा के कट्टर हिंदू चेहरा माने जाने वाले योगी ने स्वागत समारोह में अपने भाषण की शुरूआत भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे तीन-तीन बार लगाकर की और भाषण का समापन जय श्रीराम के साथ किया.

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