लखनऊ : उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के महज एक सप्ताह के अंदर समूचे मंत्रिमण्डल और नौकरशाही को अनुशासन तथा ईमानदारी को लेकर अपने ‘हठयोग’ का सुस्पष्ट संदेश देने वाले आदित्यनाथ योगी ने इस छोटी सी अवधि करीब 50 नीतिगत फैसले लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं.
औचक दौरा और निर्देश
मुख्यमंत्री ने पदभार ग्रहण करने के अगले ही दिन सचिवालय का औचक निरीक्षण करके यह जाहिर कर दिया कि वह सरकारी तंत्र में वक्त की पाबंदी, काम में ईमानदारी और कार्यालय में स्वच्छता के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे. पिछले 40 साल के दौरान सचिवालय का दौरा करने वाले वह पहले मुख्यमंत्री हैं.
योगी ने अपने इस दौरे के दौरान सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों तथा विद्यालयों में पान, तम्बाकू तथा पान मसाला खाने पर पाबंदी लगा दी और सभी अधिकारियों को स्वच्छता रखने की शपथ दिलायी. उसके अगले ही दिन उनकी सरकार के एक मंत्री अपने कार्यालय में झाडू लगाते और कई मंत्री फाइलों में जमी धूल साफ करते नजर आये.
18 से 20 घंटे काम करने के लिए तैयार रहें
गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी ने गोरखपुर के अपने दौरे के दौरान अपनी टीम को कर्तव्यनिष्ठा का संदेश देते हुए कहा कि जो लोग 18-20 घंटे काम करना चाहते हैं, वे ही उनके साथ रहें, बाकी लोग अपना रास्ता खुद तय कर लें. उन्होंने कहा कि वह दो महीने में ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे लोगों को बदलाव महसूस होगा और उन्हें यह पता चलेगा कि सरकार कैसे चलायी जाती है.
सरकारी ठेका ना लें भाजपा नेता और कार्यकर्ता
योगी ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक का इंतजार किये बगैर तेजतर्रार ढंग से काम शुरु किया. अवैध बूचडखानों पर कार्रवाई और एंटी रोमियो दलों के जरिये शोहदों पर शिकंजा कसा जाना इसका उदाहरण है. उन्होंने कानून-व्यवस्था को अपनी पहली वरीयता के तौर पर लेते हुए अपराधियों को चेतावनी दी कि वे उत्तर प्रदेश छोडकर चले जाएं. मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से साफ कहा कि वे सरकारी ठेके ना लें, बल्कि विकास कार्यों की निगरानी करें.
गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना का निरीक्षण
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने आज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ रहे ‘गोमती रिवरफ्रण्ट विकास परियोजना’ का निरीक्षण किया और उसकी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया.योगी ने करीब 1500 करोड रुपये की अनुमानित लागत वाली गोमती रिवरफ्रण्ट परियोजना का निरीक्षण करते हुए कहा कि मई 2017 तक पूरी हो जाने वाली इस परियोजना का अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया है. इस पर अब तक 1427 करोड रुपये खर्च हो चुकने के बावजूद विभाग द्वारा लगभग 1500 करोड रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है.
योगी ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि लगभग 1400 करोड रुपये से अधिक व्यय करने के बाद भी गोमती नदी में गिरने वाले नालों को रोका नहीं जा सका है. कार्यदायी संस्थाओं ने फव्वारे जैसे गैर-जरुरी कामों पर जनता की गाढी कमाई को खर्च कर दिया और लखनऊ की जनता को इसका कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.
मालूम हो कि गोमती रिवरफ्रण्ट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना थी. मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त किया और गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा कि इस परियोजना को ‘नमामि गंगे’ परियोजना से जोडकर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाये रखने एवं पानी को शुद्घ करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. योगी ने निर्देशित किया कि सबसे पहले गन्दे नालोें को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम आगामी मई तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही, दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वॉल को कलाकोठी तक बढाया जाए.
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव इस परियोजना से सम्बन्धित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के सम्बन्ध में अपनी राय दें.मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार परियोजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार को हर हाल में बन्द करने के लिए दृढसंकल्पित है. उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर जनता की गाढी कमाई को लूटने की इजाजत नहीं दी जा सकती.