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सती प्रथा की तरह तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की मांग

लखनऊ : आॅल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने साेमवार को सती प्रथा उन्मूलन के लिए बनाये गये अधिनियम की तर्ज पर तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग दोहरायी. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शरई वजह के बगैर अपनी बीवी को […]

लखनऊ : आॅल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने साेमवार को सती प्रथा उन्मूलन के लिए बनाये गये अधिनियम की तर्ज पर तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग दोहरायी.

बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शरई वजह के बगैर अपनी बीवी को तलाक देने वालों के सामाजिक बहिष्कार की अपील की है, मगर सिर्फ इतना काफी नहीं है. इससे पीड़ित महिला के साथ इंसाफ नहीं हो सकेगा. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि सती प्रथा रोकने के लिए बनाये गये कानून की तरह ‘तीन तलाक’ पर रोक के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए, ताकि मासूम जिंदगियां बचायी जा सकें. हालांकि, अब्बास ने तीन तलाक के मुद्दे की तुलना द्रौपदी के चीरहरण से करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी को गलत बताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है.

मालूम हो कि आल इंडिया शिया पर्सनल लाॅ बोर्ड ने गत पांच अप्रैल को अपनी कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में भी सरकार से तीन तलाक खत्म करने की मांग करते हुए कहा था कि जिस तरह सती प्रथा के खात्मे के लिए कानून बना था, उसी तरह तीन तलाक का रिवाज बंद होना चाहिए. देश में सती प्रथा जैसी बुराई को खत्म करने के लिए वर्ष 1987 में सती निरोधक कानून बनाया गया था. हालांकि, बंगाल सती रेगुलेशन 1829 के तहत पहली बार सती प्रथा के खिलाफ व्यवस्था की गयी थी.

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