नयी दिल्ली : आयकर विभाग के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ सरकारी अधिकारियों के यहां छापों में 20 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता लगाया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर विभाग ने पिछले दो दिन में इन राज्यों में चार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी की. इनमें उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के देहरादून स्थित एक महाप्रबंधक भी शामिल हैं. उन पर ‘अपने पद का कथित दुरुपयोग करने’ और कर चोरी के आरोप हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘दस्तावेजों के अनुसार अघोषित धन को सैकड़ों बीघे के फार्म हाउसों में किया गया है और अन्य शहरों में अचल संपत्तियों में लगाया गया है.’ कर अधिकारियों ने उस अधिकारी के ठिकानों से कुछ कीमती चीजें भी पकड़ी हैं. इनमें रेंज रोवर, एक ऑडी और एक बीएमडब्ल्यू कार भी शामिल है.
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग की छापामार टीम फार्म हाउस में लगे 15 बड़े एलईडी टीवी देख कर दंग रह गयी. यह फार्म हाउस उस जमीन पर बना है, जिस पर एक कारखाने को बनना था. इसके अलावा इसमें एक सुसज्जित जिम, एक अतिथि ग्रह और निर्माणाधीन तरण ताल भी पाया गया. कर अधिकारी, अधिकारी और उनके रिषिकेश स्थित कुछ साथियों के खिलाफ कुछ करोड़ रुपये के कर चोरी मामले की जांच कर रहे हैं.
कर अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के नोएडा स्थित परिसर पर छापा मारा है. यह अभी कानपुर में तैनात है. आयकर अधिकारी ने बताया कि इस अधिकारी ने अपनी पत्नी के नाम दो करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति खरीदने के लिए अघोषित नकदी का भुगतान किया. इस अधिकारी को जांच में सहयोग के लिए जल्द ही समन जारी किया जायेगा. विभाग कुछ और अधिकारियों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई करेगा जो उसकी जांच के जद में हैं.
पिछले 15 दिनों में विभाग ने 540 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाया है. यह उसके देशभर में कर चोरी की जांच अभियान का हिस्सा है. इसे उसने काले धन का खुलासा करने के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के 31 मार्च को बंद होने के बाद शुरू किया है.
इसके अलावा एक अन्य छापे में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के स्थानीय निकाय के चेयरमैन के खिलाफ भी तलाशी अभियान चलाया गया. आयकर विभाग ने प्रारंभिक आकलनों के आधार पर करीब 10 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है. अधिकारी ने बताया, ‘‘चेयरमैन के पास दो पेट्रोल पंप और एक गैस एजेंसी हैं. ऐसा पाया गया कि उसने विकास के लिए मिले सरकारी अनुदानों को कथित तौर पर अपने निजी फायदे के लिए उपयोग कर रहा था.’