लखनऊ : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वीवीआईपी कल्चर पर बुधवार को बड़ा फैसला लिया. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया कि देश में 1 मई के बाद से कोई भी व्यक्ति अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती का इस्तेमाल अब नहीं कर सकता.
मोदी सरकार के इस फैसले की सराहन चारों तरफ हो रही है. अब इस सूची में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो गये हैं. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, लालबत्ती हटाने के केन्द्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले का हम स्वागत करते हैं. हर भारतीय VIP हैं. लक्ष्य अंत्योदय प्रण अंत्योदय पथ अंत्योदय.
* राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों तक की कारों से हटेगी लालबत्ती
आगामी एक मई से अधिकारियों के वाहनों पर लालबत्ती नहीं होगी. सरकार ने वीआईपी वाहनों की लालबत्ती संस्कृति समाप्त करने का फैसला किया. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों सहित किसी भी वीवीआईपी के वाहन पर एक मई से लालबत्ती नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी देते हुये कहा कि सरकार ने वीआईपी वाहनों से लाल बत्ती हटाने का फैसला किया है. एंबुलेंस और अग्निशमन जैसे आपात परिस्थितियों में काम आने वाले वाहनों में ही लाल बत्ती का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी. सरकार ने कहा है कि वीआईपी संस्कृति का प्रतीक बन चुकी लाल बत्ती का ‘‘लोकतांत्रिक देश में कोई स्थान नहीं है.”
* लालबत्ती हटाने के आदेश पर गुस्से से लाल हुए बिहार सरकार के ज्यादातर मंत्री
इस फैसले के बाद बिहार के नेताओं की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी रही. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मीडिया को बताया कि वह तो पहले ही लालबत्ती कल्चर के खिलाफ हैं. जनता की सेवा करना उनका अहम काम है, ना कि वीआईपी स्टेट्स दिखाना. सरकार में जिन मंत्रियों की गाड़ियों पर लाल बत्ती लगी है, उनमें उत्पाद मंत्री अब्दुल जलील मस्तान, वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, उर्जा मंत्री विजेंद्र यादव, ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश कुमार, जल संसाधन मंत्री ललन सिंह और शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी शामिल हैं.
केंद्र के इस फैसले पर उर्जा मंत्री विजेंद्र यादव और ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश साफ नाराज नजर आये. एक टीवी चैनल द्वारा किये गये सवाल के जवाब में विजेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला राज्य सरकारों पर बाध्य नहीं है. वहीं जल संसाधन मंत्री ललन सिंह सवाल से इतना नाराज हो गये कि सवाल का जवाब दिये बिना ही सचिवालय के अंदर चले गये.