लखनऊ : बसपा से निष्कासन के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल वेस्ट यूपी में पार्टी को कमजोर करने का अभियान चला रहे हैं लेकिन उनके प्लान को खुद मायवती ने बेअसर करने में जुटीं हैं. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिद्दीकी ने कई नेताओं को अपने खिलाफ की गयी कार्रवाई को लेकर पार्टी छोड़ने के लिए फोन किये , लेकिन मायावती ने खुद नसीमुद्दीन के करीबी समझे जाने वाले उन नेताओं को कॉल की और उन्हें समझाया. मायावती ने इन नेताओं से पार्टी के खिलाफ नहीं जाने का आग्रह भी किया.
आपको बता दें कि बसपा से बाहर किये गये नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने गुरुवार को बसपा प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी आरोप मेरे खिलाफ लगाये गये हैं, वह पूरी तरह से गलत हैं. मैंने बसपा को मजबूत करने के लिए 35 साल पार्टी को दिये. यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मुझे झूठे आरोप लगाकर पार्टी से निकाला गया. मुझ पर लगाये आरोप गलत हैं. मैंने बताया कि गंठबंधन के बाद मुसलिम वोटर कम हुए. मैंने हार के कारणों के बारे में बताया था, जिस पर वह नाराज हो गयीं. मायावती ने सिर्फ मुसलमानों को नहीं बल्कि धोबी, पासी, कोहार जाति सभी को बुरा भला कहा. चुनाव के बाद मायावती ने मुझे दिल्ली बुला कर पूछा कि मुसलमानों ने वोट क्यों नहीं दिया. मुसलमान गद्दार हैं.
उन्होंने कहा कि मायावती ने मुझे ही नहीं कांशीराम को भी उल्टा सीधा कहा, मैंने उसका विरोध किया. इसकी सजा मिली है. मायावती ने कहा पार्टी को 50 करोड़ की जरूरत है. मैंने कहा कि मैं कहां से लाऊं तो बोलीं, अपनी प्रॉपर्टी बेच दो. मैंने जवाब दिया अगर बेच भी दूंगा, तो 50 करोड़ का चौथाई भी नहीं हो पायेगा. नोटबंदी के बाद अगर प्रॉपर्टी बेचने पर कैश नहीं मिलेगा, लेकिन पार्टी हित के लिए मैं तैयार हूं. मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा बसपा की जड़ें खोद रहे हैं. मायावती नहीं चाहतीं कि कोई और दलित मुख्यमंत्री बने.’ मेरे पर लगा बूचड़खाना चलाने का आरोप झूठा है. व्यापारियों से धन उगाही का आरोप निराधार हैं. मुझे अपनी सफाई देने का भी मौका नहीं मिला. सिद्दीकी ने एक टेप भी मीडिया को सुनाया. कहा मेरे पास ऐसे 150 टेप और भी हैं. सतीश चंद्र मिश्रा और मायावती के भाई ने पूरी तरह से पार्टी को कब्जे में ले लिया है.
उगाही करते थे नसीमुद्दीन
मायावती ने आरोपों पर कहा कि नसीमुद्दीन को पश्चिमी यूपी का जिम्मा सौंपा था, लेकिन वहां पर वह बसपा को मजबूत करने के बजाय उगाही में जुट गये. इसके लिए मुझे कई तरह शिकायतें मिलीं. नसीमुद्दीन ने जो टेप सुनाया, उनसे छेड़छाड़ हुई है.