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Aaj ka Panchang 23 अक्तूबर 2023: आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी उपरांत दशमी आज, मां सिद्धिदात्री को ऐसे करें प्रसन्न

Aaj Ka Panchang 23 October 2023: पंचांग का खास महत्व है. पंचांग के जरिए शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, शुभ योग, दिन के अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति आदि का पता चलता है. पंचांग से दिशाशूल, सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी मिलती है. इसके जरिए शुभ कार्य का समय जाना जा सकता है.

By Sanjay Singh | October 23, 2023 12:37 AM

Aaj Ka Panchang 23 अक्तूबर सोमवार 2023: पंचांग (Panchang) का खास महत्व है. पंचांग के जरिए शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, शुभ योग, दिन के अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति आदि का पता चलता है. पंचांग से दिशाशूल, सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी मिलती है. इसके जरिए शुभ कार्य का समय जाना जा सकता है, साथ ही किस समय व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए, इसका भी पता चलता है. सनातन परंपरा में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त के दौरान किए गए कार्य से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. वैदिक शास्त्र के अनुसार, शुभ मुहूर्त वह विशेष समय होता है, जब सौरमंडल में ग्रह और नक्षत्र की स्थिति वशिष्ठ कार्य के लिए शुभ होती है. यही कारण है कि बाधा और समस्याओं को दूर रखने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन किया जाता है. पंचांग के मुताबिक आज पितृपक्ष की नवमी का श्राद्ध है. इस दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए काशी, प्रयागराज जैसे तीर्थस्थल पहुंच रहे हैं. इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व है. आज 23 अक्तूबर 2023 दिन सोमवार का पंचांग (Monday Panchang) क्या कहता है.

आज का पंचांग: 23 अक्तूबर सोमवार 2023

  • आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी दिन-03 :10 उपरांत दशमी

  • श्री शुभ संवत-2080, शाके-1945, हिजरी सन-1444-45

  • सूर्योदय: 06:13

  • सूर्यास्त: 17:27

  • चन्द्रोदय: 14:04

  • चन्द्रास्त: 25:03

  • शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत: 11:28 − 12:12

  • अमृत कालम्: 07:18 − 08:48

  • सूर्योदय कालीन नक्षत्र-श्रवण उपरांत धनिष्ठा, योग-शूल, करण-कौ,

  • सूर्योदय कालीन ग्रह विचार-सूर्य-तुला, चंद्रमा- मकर, मंगल-तुला, बुध-तुला, गुरु-मेष, शुक्र-सिंह, शनि-कुंभ, राहु-मेष, केतु-तुला

नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को ऐसे करें प्रसन्न

नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इन्हीं माता की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम मिला, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बना. सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति के लिए नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के शक्तिशाली मंत्र का जाप करना बहुत प्रभावी माना जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन में ‘ऊं सिद्धिदात्र्यै नम:’ मंत्र का जाप करें. इस मंत्र के जाप से मां सिद्धिदात्री अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती हैं.

मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

आज का पंचांग: 23 अक्तूबर 2023: चौघड़िया सोमवार

चौघड़िया के बारे में सटीक चौघड़िया सूची के साथ जानें और दिन का सबसे शुभ समय निर्धारित करें. यदि आप कुछ नया शुरू कर रहे हैं या यात्रा पर जा रहे हैं तो चौघड़िया से आप आज के शुभ मुहूर्त या सबसे अच्छे समय को पूर्व निर्धारित कर सकते हैं. जैसा कि नाम से पता चलता है, चौघड़िया, जो कि वैदिक हिंदू कैलेंडर है, जिसमें 96 मिनट की ‘चार घड़ी’ शामिल हैं, जिसमें प्रत्येक घड़ी 24 मिनट के बराबर है.

करने योग्य गति​विधियां

  • प्रातः 06:13 से 07:37 अमृत (सभी प्रकार के कार्य, विशेष रूप से दुग्ध उत्पाद संबंधित)

  • प्रात:07:37 से 09:01 तक काल (मशीन, निर्माण और कृषि संबंधी गतिविधियां)

  • प्रातः 09:01 से 10:25 तक शुभ (विवाह, धार्मिक, शिक्षा गतिविधियां)

  • प्रातः 10:25 से 11:49 रोग (वाद-विवाद, प्रतियोगिता, विवाद निपटारा)

  • दोपहर: 14:49 से 13:13 उद्वेग (सरकार से संबंधित कार्य)

  • दोपहरः 13:13 से 14:38 तक चर (यात्रा, सौंदर्य, नृत्य, सांस्कृतिक गतिविधियां)

  • दोपहरः 14:38 से 16:02 तक लाभ (नया व्यवसाय, शिक्षा प्रारंभ करें)

  • शामः 16:02 से 17:26 तक अमृत सभी प्रकार के कार्य (विशेष रूप से दुग्ध उत्पाद संबंधित)

उपाय

  • उपायः प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं।

  • आराधनाः “ऊं जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते”।।

  • खरीदारी के लिए शुभ समयः

  • शामः 04:30 से 06:00 तक

  • राहु काल: प्रातःकाल 7:38 से 9:02 बजे तक

  • दिशाशूल-पूर्व एवं आग्नेय

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