कानून का उल्लंघन कर अभियोजन निदेशालय के हेड बनाए गए थे ADG आशुतोष पांडेय, हाई कोर्ट ने नियुक्ति को किया रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) आशुतोष पांडेय की अभियोजन निदेशालय के मुखिया के तौर पर की गयी नियुक्ति को रद्द कर दिया है.
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) आशुतोष पांडेय की अभियोजन निदेशालय के मुखिया के तौर पर की गयी नियुक्ति को रद्द कर दिया है. हाइकोर्ट के जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच ने एडीजी पांडेय की नियुक्ति को नियम विरुद्ध और अवैध बताते हुए रद्द कर दिया है. अभियोजन विभाग के मुखिया के रूप में की गई नियुक्ति को सीआरपीसी की धारा 25 ए (2) का उल्लंघन माना है.
निदेशक अभियोजन के लिए वकील होना अनिवार्य
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को छह माह के अंदर अभियोजन विभाग के नए प्रमुख की नियुक्ति आदेश दिया है. हाइकोर्ट के जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को किशन कुमार पाठक की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई की.किशन कुमार पाठक ने पांडेय को नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वह वकील नहीं हैं. निदेशक अभियोजन के लिए वकील होना अनिवार्य है.
2019 में अभियोजन निदेशालय के प्रमुख बने
अभियोजन निदेशालय के प्रशासनिक ढांचा की बात करें तो अभियोजन निदेशालय के प्रमुख को महानिदेशक अभियोजन कहा जाता है. वह गृह विभाग को रिपोर्ट करते हैं. एडीजी आशुतोष पांडेय को 8 अगस्त वर्ष 2019 को अभियोजन निदेशालय का विभागाध्यक्ष (हेड) बनाया गया था. पांडेय के प्रयास से ही ई-अभियोजन पोर्टल ने पूरे देश में बेहतर काम किया. राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पुरस्कार एवं ट्रॉफी हासिल की थीं.
अभियोजन निदेशालय की स्थापना 1980 में हुई
प्रदेश में प्रभावी एंव निष्पक्ष अभियोजन की दृष्टि से एक स्वतन्त्र अभियोजन निदेशालय की स्थापना वर्ष 1980 में की गयी थी. अभियोजन निदेशालय का मुख्य कार्य प्रदेश में कार्यरत अपर निदेशक अभियोजन, संयुक्त निदेशक अभियोजन, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी, अभियोजन अधिकारी, सहायक अभियोजन अधिकारी के समस्त कार्यों का प्रभावी प्रशासनिक नियन्त्रण एवं पर्यवेक्षण रखना है. अभियोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश शासन गृह विभाग के अधीन है .