Adipurush Contorversy: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फिल्म सेंसर बोर्ड को कहा धृतराष्ट्र, किया ट्वीट

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का एक ट्वीट चर्चा में आ गया है. अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा है कि 'क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?'

By Amit Yadav | June 19, 2023 4:05 PM
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लखनऊ: फिल्म आदिपुरुष विवादों से घिरी हुई है. उसके डायलॉग को लेकर लेखन मनोज मुंतशिर शुक्ला लगातार निशाने पर हैं. निर्माता-निर्देशक ओम राउत और भूषण कुमार को भी बख्शा नहीं जा रहा है. इसी बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का एक ट्वीट चर्चा में आ गया है. अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा है कि ‘क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?’

फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि ‘जो राजनीतिक आकाओं के पैसों से, एजेंडेवाली मनमानी फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फ़िल्मों को सेंसरबोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले, उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए।’ क्या सेंसरबोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?

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फिल्म का  विरोध जारी

फिल्म आदिपुरुष के डॉयलॉग को लेकर चल रहे विवाद में सोशल मीडिया से लेकर जमीन पर विरोध जारी है. कई जगह फिल्म के शो रुकवाए गये हैं. लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर फिल्म का पोस्टर फूंका गया है. इस बीच अखिलेश यादव ने फिल्म सेंसर बोर्ड पर सवाल खड़े कर दिये हैं. उनके फिल्म सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र कहे जाने को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है.


शिवपाल यादव ने भी किया ट्वीट

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने भी आदिपुरुष फिल्म को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि ‘सस्ते व सतही संवाद वाले सिनेमा के जरिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम व उनकी कथा के विराट व प्रेरक चरित्रों को संकुचित करने का प्रयास किया जा रहा है। करोड़ों आस्थावान सनातनी आहत हैं,इस कृत्य के लिए तथाकथित सनातनी भाजपाई देश से माफी मांगे। ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो!’


अखिलेश यादव का हमला जारी

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आदिपुरुष कंट्रोवर्सी पर एक और ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि ‘उप्र में धार्मिक भावनाएं आहत होने पर जगह-जगह लेखक-निर्देशक व प्रोड्यूसर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन व विरोध हो रहे हैं। ऐसी फ़िल्में भारतीय संस्कृति का जो अपमान कर रही हैं, वो भारतीय समाज सहन नहीं करेगा। भाजपाई राजनीति प्राचीन धर्म व मान्यताओं को अपने फ़िल्मी प्रवक्ताओं से दूर ही रखे।”

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