Adipurush: पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी सौंपेगी रिपोर्ट, भूषण कुमार-ओम राउत और मनोज मुंतशिर हाईकोर्ट में तलब
फिल्म आदिपुरुष को लेकर विवाद अभी भी जारी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सख्त आदेश जारी किया है. कोर्ट के आदेश पर जहां समिति अपनी रिपोर्ट सौपेंगी, वहीं फिल्म के निर्माता, निर्देशक और संवाद लेखक को खुद पेश होना होगा.
Lucknow: फिल्म आदिपुरुष से विवादित संवाद बदले जाने के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फिल्म के मेकर्स को कड़ी फटकार लगाने के साथ अब केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय समिति बनाकर आदिपुरुष का पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया है.
समिति फिल्म को देखने के बाद रिपोर्ट सौंपेगी कि उसमें दिखाए गए भगवान राम, माता सीता, हनुमानजी और रावण आदि की कहानी को धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक दिखाया गया है या नहीं. हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत, भूषण कुमार व संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को भी खुद की जवाबी हलफनामे के साथ 27 जुलाई को तलब किया है.
समिति में दो सदस्य गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस व श्रीमद वाल्मीकि रामायण और अन्य धार्मिक महाकाव्यों के विद्वान शामिल किए जाएंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने समिति को ये भी देखने को कहा है कि फिल्म में देवी सीता और विभीषण की पत्नी को निम्नस्तर पर या अश्लील चारित्र में तो नहीं दिखाया गया है, जो सेंसर बोर्ड के दिशा निर्देशों के तहत हैं या नहीं.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका के साथ दाखिल किए गए दृश्यों में विभीषण की पत्नी के कुछ चित्र अश्लील लगते हैं. कोर्ट ने कहा यह समिति एक सप्ताह में बनाई जाए. इसके बाद केंद्रीय सूचना प्रसारण सचिव निजी हलफनामे के साथ 15 दिन में समिति की रिपोर्ट 27 जुलाई तक कोर्ट में दाखिल करेंगे.
हाईकोर्ट ने फिल्म प्रमाणीकरण बोर्ड के चेयरमैन को भी आदेश दिया कि संबंधित दस्तावेजों के साथ इस संबंध का हलफनामा पेश करें कि फिल्म आदिपुरुष को दिखाने का प्रमाणपत्र जारी करते समय सेंसर बोर्ड के दिशा निर्देशों का पालन किया गया या नहीं.
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ये हलफनामे इन अफसरों ने नहीं दाखिल किए तो अगली सुनवाई पर 27 जुलाई को इनके उप सचिव स्तर के अधिकारी को पेश होना होगा. कोर्ट ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत, भूषण कुमार व संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को भी 27 जुलाई को तलब किया है.
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर दिया. याचिकाओं में इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार हाईकोर्ट में की गई है. याचियों की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व प्रिंस लेनिन ने फिल्म में दिखाए गए सीन के फोटोज को आपत्तिजनक कहकर पेश किया. उन्होंने इसे हिंदू सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ कहकर सख्त कारवाई का आग्रह किया.
उधर, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह पेश हुए और इसे हिंदू आस्था से जुड़ा मामला कहा. केंद्र की ओर से उप सॉलिसीटर जनरल एस बी पांडेय पेश हुए. उनके जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. मामले को गंभीर सरोकार वाला कहकर केंद्र को फिल्म का पुनरीक्षण करवाने के आदेश के साथ पक्षकारों से जवाब तलब किया गया.
राज्य सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने इसे हिंदू आस्था से जुड़ा मामला बताया. केंद्र की ओर से उपसॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय ने दलीलें रखीं. खंडपीठ उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और मामले को गंभीर सरोकार वाला बताकर फिल्म के पुनरीक्षण का आदेश दिया.