लखनऊ: एक हजार रुपए में खप रहा था बचपन, 30 नाबालिग बच्चों ने रेस्क्यू के बाद इस तरह बयां किया दर्द, केस दर्ज
जिन बच्चों के हाथों में किताबें और चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए थी, उनका बचपन बाल श्रम ने छीन लिया. ये मासूम अपना बचपन 12 घंटे की कड़ी मेहनत में खपा रहे थे. बदले में इन्हें गालियां सुनने को मिलती थी. लखनऊ में ऐसे बच्चों ने रेस्क्यू के बाद जब अपना दर्द बताया तो हर किसी की आंखें नम हो गईं.
Lucknow: राजधानी लखनऊ में बाल श्रम के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासन, पुलिस और चाइल्डलाइन की टीम ने 30 नाबालिगों का रेस्क्यू किया है. ये मासूम परिवार की गरीबी के कारण दो वक्त की रोटी के लिए 12 घंटे काम करने को मजबूर थे. जिन प्रतिष्ठानों और दुकानों में इन नाबालिगों से बाल श्रम कराया जा रहा था, उनके मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
इन क्षेत्रों से किया गया नाबालिग बच्चों का रेस्क्यू
लखनऊ जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर चाइल्डलाइन और अन्य विभागों की टीम ने लखनऊ के कृष्णानगर, आलमबाग और मानक नगर क्षेत्र में विभिन्न दुकानों और प्रतिष्ठानों से 30 बच्चों को रेस्क्यू किया है. इस मामले में कृष्णनगर कोतवाली में दुकानदारों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.
12 घंटे प्रतिदिन काम की कीमत 1000 से 1500 रुपए महीना
शुरुआती जानकारी में रेस्क्यू किए गए बच्चों ने टीम के सदस्यों को बताया कि किसी को 1000 तो किसी को 1500 रुपए प्रतिमाह दिए जाते थे. बच्चों ने बताया कि सुबह से लेकर रात तक करीब 12 घंटे तक उनसे काम लिया जाता था. इतना ही नहीं जरा सी बात पर गलतियां होने पर गालियां दी जाती थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण बच्चे इन हालात में काम करने को मजबूर थे. अधिकांश बच्चों के अभिभावक इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे. इसके बाद भी मजबूरी में वह अपने बच्चों को काम पर काफी समय से भेज रहे थे.
Also Read: यूपी पुलिस में अब कांस्टेबल के 53 हजार पदों पर होगी भर्ती, जानें कब शुरू होंगे आवेदन और लिखित परीक्षा की डिटेल
इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
इस प्रकरण में कृष्णा नगर कोतवाली में जसविंदर कौर, राशिद खान, नौशाद अहमद, सौरव बजाज, हर्ष कुमार, प्रेम प्रकाश, अमित मिश्रा, जुगल किशोर अवस्थी, गुड्डू और अमित सिंह के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है.
बाल कल्याण समिति के सामने किए जाएंगे पेश
दुकानों और प्रतिष्ठानों से रेस्क्यू करवाए गए बच्चों को मेडिकल के बाद मोहान रोड स्थित बाल गृह भेज दिया गया है. बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कराने के साथ समिति के सदस्य उनकी काउंसलिंग करेंगे. इसके बाद बच्चों को उनके माता पिता और अभिभावकों के सुपुर्द किया जाएगा. वहीं अभिभावक नहीं होने की स्थिति में शासन स्तर पर उनकी पढ़ाई और खाने के साथ ही रहने की व्यवस्था की जाएगी.
सरकार की योजना का मिलेगा लाभ
इस मामले में जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह ने बताया कि नाबालिग बच्चों को घर भेजने के साथ ही मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के तहत भरण पोषण और पढ़ाई के लिए हर माह 2500 रुपए दिए जाएंगे. सत्यापन के बाद महिला कल्याण विभाग की तरफ से राशि जारी होगी. नियमित रुप से निगरानी की जाएगी.
बाल श्रमिक विद्या योजना से 2000 बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजाला
इसके साथ ही बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत वर्तमान में 2000 कामकाजी बच्चों के लक्ष्य के सापेक्ष सभी बच्चों को चिह्नित कर शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराकर, उनको आर्थिक लाभ प्रदान किया जा रहा है. इस योजना से निराश्रित कामकाजी बच्चों को बालश्रम से निजात दिलाते हुए शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिली है.
श्रम विभाग के अनुसार इस योजना के अन्तर्गत शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराने के बाद कामकाजी बच्चों की विद्यालय में 70 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद बालकों के लिए 1000 रुपए प्रतिमाह की धनराशि और बालिकाओं के लिए 1200 रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदेश सरकार उपलब्ध करा रही है.