Akhilesh Yadav News: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव के गुरु जनवादी कवि उदय प्रताप सिंह के काव्य संग्रह ‘हिन्दुस्तान सबका है’ का विमोचन किया. राजधानी लखनऊ के क्लार्क अवध होटल में आयोजित कार्यक्रम में सपा प्रमुख ने कहा कि उदय प्रताप सिंह को उन्होंने बचपन से देखा और सुना है.
पार्टी हो या समाज के लिए कोई बड़ा काम हो, उन्होंने हमेशा बढ़-चढ़ कर राय-मशवरा दिया है. वह राज्य सभा सांसद, लोक सभा सांसद रहे लेकिन सबसे बड़ी बात है कि वह नेता जी के गुरु रहे. उदय प्रताप सिंह ने जितनी हिंदी की सेवा की है बहुत कम ऐसे लोग होंगें. जब वह हिंदी संस्थान के अध्यक्ष थे, तब कभी भी उनकी बात नहीं काटी गई.
चाहे वह बजट बढ़ाने की बात रही हो या किसी पुरस्कार राशि को बढ़ाने की बात हो, हमेशा उनकी बात को सुना गया. हिंदी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष रहे उदय प्रताप सिंह की काव्य यात्रा के 75 वर्ष पूरा होने पर अक् और भारतीय ज्ञानपीठ के संयुक्त तत्वाधान में चुनिंदा कविताओं व गजलों का संग्रह “हिंदुस्तान सबका है ” निकाला गया है. संकलन स्वामी ओमा द अक् ने किया है.
सपा प्रमुख ने कार्यक्रम में खुलासा करते हुए कहा कि जिस समय नया मुख्यमंत्री कार्यालय बन रहा था, यह सोचा गया कि इससे अच्छी बिल्डिंग आस-पास ना हो. नई बिल्डिंग विधान सभा जैसी दिखे, लेकिन जो भी देखे वह कहे यह विधान सभा से भी सुंदर दिखती है. तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक को पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय बन रहा है तो उन्होंने बताया कि मैंने कई बिल्डिंग के नाम बदले हैं.
वह नये मुख्यमंत्री कार्यालय का नाम भी रखना चाहते थे. उन्होंने कई सुझाव भी दिए, लेकिन मैंने वह चुपचाप रख लिए. इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय का नाम रखने के लिए उदय प्रताप सिंह से संपर्क किया. उन्होंने इसके लिए दो दिन का समय मांगा. दो दिन बाद नए मुख्यमंत्री कार्यालय का नाम लोक भवन के रूप में उदय प्रताप सिंह लेकर आए. क्योंकि यह भवन ऐसा है जहां लोगों से चुना व्यक्ति बैठता है.
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी का गाना ‘ये समाजवादी झंडा’ भी उदय प्रताप सिंह ने ही लिखा है. यह गाना नेता जी मुलायम सिंह यादव ने उनसे लिखवाया था. जब भी यह गाना बजता है तो हम सभी सम्मान से खड़े हो जाते हैं. सपा प्रमुख ने कहा कि उदय प्रताप सिंह ने समाज के लिए कविता लिखी है.
विश्व हिंदी दिवस के दिन ‘हिन्दुस्तान सबका है’ का विमोचन हुआ है. यह किताब समाज को दिशा दिखा रही है. इसमें समाजवादी कविताओं का संकलन है. समाज को जो आगे बढ़ाना चाहता है, उसे इस किताब को पढ़ना चाहिए. समाजवादियों ने साहित्यकारों को सम्मान दिया, इसलिए यशभारती सम्मान बंद कर दिया गया.
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