Akshaya Tritiya 2023: बांके बिहारी के आज होंगे चरण दर्शन, चूके तो एक साल बाद मिलेगा मौका, जानें परंपरा
Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया पर बांकेबिहारी के शरीर पर चंदन का लेपन किया जाएगा. इसके लिए 71 किलोग्राम चंदन की घिसाई की गई. बांके बिहारी शनिवार को धोती, सोने से बने आभूषण, हीरे जवाहरात से बने कान के कुंडल, मोर पंख लगा मुकुट धारण कर भक्तों के सम्मुख होंगे. उन्हें शीतल पदार्थ अर्पित किए जाएगे.
Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया पर शनिवार को वृंदावन में दुनिया भर से भक्त अपने आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के दुर्लभ दर्शन करेंगे. इसके लिए वह पहले से वृंदावन पहुंच गए हैं. श्रीबांकेबिहारी पीतांबरी पोषाक और स्वर्ण-रजत बेशकीमती शृंगार धारण कर भक्तों को चरण दर्शन देंगे. इसके बाद शाम के समय उनके सर्वांग दर्शन किए जा सकेंगे. ये अवसर केवल अक्षय तृतीया के दिन ही मिलता है, जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं.
71 किलोग्राम चंदन किया जाएगा अर्पित
अक्षय तृतीया पर बांकेबिहारी के पूरे शरीर पर चंदन का लेपन किया जाएगा. इसके लिए 71 किलोग्राम चंदन की घिसाई की गई. बांके बिहारी शनिवार को धोती, सोने से बने आभूषण, हीरे जवाहरात से बने कान के कुंडल, मोर पंख लगा मुकुट धारण कर भक्तों के सम्मुख होंगे. वहीं उन्हें भोग में शीतल पदार्थ अर्पित किए जाएगे. इसके साथ ही प्रसाद में सत्तू के लड्डू, खीर और स्पेशल ठंडाई अर्पित की जाएगी. अक्षय तृतीया के खास मौके पर ठाकुर बांकेबिहारी को पायजेब दान करने की भी परंपरा है.
शाम को बांकेबिहारी के दर्शन का समय
मंदिर सेवायतों के मुताबिक ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पट 23 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर सुबह लगभग 7:45 बजे खुलेंगे. इसके बाद श्रद्धालु अपने आराध्य के विशेष दर्शन करने का पुण्य लाभ मिलेगा. वहीं शाम को लगभग 5:30 बजे दर्शन खुलेंगे. अक्षय तृतीया पर शाम को ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में फूल बंगले नहीं सजेंगे.
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अक्षय तृतीया पर ही इसलिए होते हैं बांके बिहारी के चरणों के दर्शन
बांके बिहारीजी यहां साक्षात राधा और कृष्ण के सम्मिलित रूप हैं. सैकड़ों साल पहले स्वामी हरिदासजी ने इन्हें अपनी भक्ति और साधना से प्रकट कर स्थापित किया था. निधिवन में बांके बिहारीजी के प्रकट होने के बाद हरिदासजी दिनभर अपने ठाकुरजी की सेवा करते थे. ठाकुरजी की सेवा करते-करते आर्थिक संकट की स्थिति हो गई.एक दिन स्वामी हरिदासजी जब उठे तब उन्होंने ठाकुरजी के चरणों में एक स्णर्ण मुद्रा देखी. इस मुद्रा को उन्होंने ठाकुर जी की सेवा में लगा दिया. फिर जब-जब आर्थिक दिक्कत होती, तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण की मुद्रा निकलने लगती.
अक्षय तृतीया पर दर्शन करने वालों नहीं होती आर्थिक दिक्कत
यही कारण है कि ठाकुर जी के चरणों को सालभर ढककर रखा जाता है और किसी को इनके दर्शन नहीं कराए जाते. सिर्फ अक्षय तृतीया पर ही भक्त इनके दर्शन कर आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद पाते हैं. बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन करने वाले को धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है. ठाकुर जी के चरणों में साक्षात मां लक्ष्मी का कलश है, जो उन भक्तों के आगे खुल जाता है, जो सच्चे मन से ठाकुर जी की आराधना करते हैं.