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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को हाईकोर्ट ने मंजूरी दी, मंदिर के धन का नहीं होगा इस्तेमाल

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है. इससे कॉरिडोर बनाने की अंतिम बाधा दूर हो गई है. हाईकोर्ट ने कॉरिडोर का निर्माण सरकारी धन से ही करने का आदेश भी दिया है. कॉरिडोर के लिए मंदिर के धन का इस्तेमाल नहीं किया

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़े फैसले में मथुरा के वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर के आसपास कॉरिडोर बनाने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना को मंजूरी दे दी है. हालांकि, कोर्ट ने मंदिर के बैंक खाते में जमा पैसे का इस्तेमाल कॉरिडोर बनाने में करने की इजाजत नहीं दी है. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 23 नवंबर को मथुरा-वृंदावन यात्रा से कुछ दिन पहले आया है.मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि वे देवता के 262.50 करोड़ रुपये के उपयोग के लिए सरकारी वकील के अनुरोध को स्वीकार नहीं करेंगे.कोर्ट ने कहा है कि सरकार को अपनी प्रस्तावित योजना पर आगे बढ़ना चाहिए लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि दर्शनार्थियों को दर्शन में कोई बाधा न आए.कोर्ट ने सरकार को कॉरिडोर के निर्माण में बाधक बने अतिक्रमण को हटाने की इजाजत भी दे दी है और सरकार को अपने खर्चे पर कॉरिडोर का निर्माण कराना होगा.

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अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 को होगी

बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में बने कॉरिडोर की तर्ज पर बनाया जाएगा. 8 नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 को होगी.याचिकाकर्ता अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और अन्य की ओर से एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी.मंदिर के पुजारियों ने गलियारे के निर्माण को अनावश्यक बताया था और चढ़ावे और दान की राशि देने से साफ इनकार कर दिया था.बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर का पुजारी विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस कॉरिडोर का निर्माण कराना चाहती है.

भगदड़ और भीड़ के मुद्दे पर हुई बहस

मगर सरकार को यह भी तय करना होगा कि जिन गलियों से अतिक्रमण हटाया जाए. वहां पर दोबारा अतिक्रमण न हो. जिससे दर्शन करने वाले भक्तों को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े. वहीं इस केस में अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 को होगी. हाई कोर्ट में जनहित याचिका अनंत शर्मा, मधु मंगलदास और अन्य की ओर से 2022 में दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि आम दिनों में मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या 40 से 50 हजार होती है. मगर शनिवार, रविवार और छुट्टियों के दिन यह संख्या डेढ़ से ढाई लाख तक पहुंच जाती है. त्योहार और शुभ दिनों में मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लगभग 5 लाख होती है. उन्होंने बताया था कि मंदिर तक पहुंचाने की सड़क बहुत सकरी और भीड़भाड़ वाली है. लहजा भारी भीड़ की वजह से आवाजाही में तमाम दिक्कतों का भक्तों को सामना करना पड़ता है. सकरी गलियों पर अतिक्रमण कर लिया गया है. इससे स्थिति और खराब हो गई. ऐसे में अधिकतर भगदड़ जैसी स्थिति भी बन जाती है. हाल ही में कुछ लोगों की यहां दम घुटने से मौत भी हो चुकी है. प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर में जब भीड़ होती है तो प्रशासन की व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो जाती है. लेकिन यूपी सरकार और जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई भी उचित कदम नहीं उठाए गए. रिट में हाई कोर्ट से इस मामले में उचित कदम उठाए जाने की राज्य सरकार को निर्देश देने की अपील की गई थी.

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