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पश्चिमी उत्तर प्रदेश को चुनावी साल में मिल सकती है बड़ी सौगात, केंद्र सरकार कर रही मंथन

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को चुनावी साल में बड़ी सौगात मिल सकती है. केंद्र सरकार इस पर मंथन कर रही है. इस सौगात से बीजेपी को चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है.

UP News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. अब माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस मांग को पूरा कर सकती है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि न्यायमूर्ति जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट विधि मंत्रालय के पास मौजूद है, जिसमें आगरा में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना करने की बात कही गई है. केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है.

कानून मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो आगरा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना को जल्द मंजूरी मिल सकती है. विधि मंत्रालय ने उच्च न्यायलय स्थापना संघर्ष समिति को वार्ता के लिए दिल्ली भी बुलाया है.

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केंद्रीय कानून मंत्री ने बताया कि केंद्रीय विधि राज्यमंत्री और आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल से भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है. उनका कहा है कि आगरा में हाईकोर्ट की खंडपीठ की स्थापना करना व्यावहारिक रूप से उचित है.

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गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले काफी समय हाईकोर्ट की अलग बेंच स्थापित करने की मांग स्थानीय लोगों द्वारा की जाती रही है. यह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा भी बनता है, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अगर बीजेपी सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की नये बेंच स्थापित करने की मांग को मंजूरी देती है तो इसका लाभ उसे चुनाव में मिल सकता है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 72 विधानसभा सीटें आती हैं. इन सीटों पर सभी पार्टियों की नजर है. बीजेपी भी इस सीटों की जीतने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद से अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने हाईकोर्ट की बेंच देने का वादा खुले मंच से करने का साहस नहीं दिखाया.

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बता दें कि हाईकोर्ट बेंच बनाना आसान काम नहीं है. इसकी एक प्रक्रिया है. सबसे पहले प्रदेश सरकार को इस सम्बन्ध में विधान मंडल से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र सरकार को भेजना होगा. इस पर केंद्र प्रदेश के हाईकोर्ट से रिपोर्ट लेती है, जिसके बाद केन्द्र सरकार संसद से कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना कर सकती है. वरिष्ठ अधिवक्ताओं का यह भी तर्क है कि संसद चाहे तो सीधे कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच का गठन कर सकती है.

Posted By: Achyut Kumar

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