Prayagraj: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को मिल रही सुविधाओं के अवमानना मामले में कड़ा रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने सचिव वित्त एसएमए रिजवी और विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र को हिरासत में ले लिया. साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वित्त डॉ. प्रशांत त्रिवेदी की को वारंट जारी किया. दोनों अधिकारियों को गुरुवार को अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर होने का आदेश दिया गया है. इस बीच कहा जा रहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की जा सकती है.
कहा जा रहा है ये अफसर कई आदेशों के बावजूद कोर्ट में मांगी गई जानकारी नहीं दे रहे थे. सुनवाई टालने के भी प्रयास किए जा रहे थे. हिरासत में लिए गए दोनों सचिवों को अभिरक्षा में रखा गया. दोनों सचिवों को जमानत पर छोड़ने के आग्रह पर कोर्ट ने इस पर नियत तिथि पर ही विचार करने को कहा. इसके साथ ही दोनों वरिष्ठ अफसरों को अवमानना का आरोप तय करने के लिए 20 अप्रैल को 11:00 बजे इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया.
इसके साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वित्त पर वारंट सीजेएम लखनऊ के माध्यम से तामील कराने का निर्देश देते हुए 20 अप्रैल को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ भी अवमानना का आरोप तय किया जाए.
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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ सुप्रीम कोर्ट एंड हाई कोर्ट जजेस इलाहाबाद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा रिटायर्ड जजों को दी जा रही सुविधाओं की तरह उत्तर प्रदेश में भी सुविधाएं लागू की जाएंगी. लेकिन, उत्तर प्रदेश सरकार वादाखिलाफी कर रही है.
प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमपी चतुर्वेदी ने कहा कि कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था, जो अब प्राप्त हो गया है. सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष शीघ्र ही रखेगी. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से रूल्स में संशोधन का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है. लेकिन, सरकार इस स्कीम को लागू करने में धीमी प्रक्रिया अपना रही है जो उचित नहीं है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को आंध्र प्रदेश सरकार की तरह सुविधाएं देने तथा घरेलू नौकरों एवं दिवंगत जजों की पत्नियों की सुविधा बढ़ाने की मांग की गई है.
इस बीच कहा जा रहा है कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. इस संबंध में प्रदेश सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की जा सकती है.