दिवाली से पहले यूपी के कई शहरों की आबोहवा बेहद खराब, सांस के मरीजों की बढ़ी संख्या, जानें कहां कितना है AQI
गाजियाबाद दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर है. यहां का AQI मंगलवार सुबह 458 दर्ज किया गया. 5वें स्थान पर मेरठ रहा. मेरठ का AQI 450 रहा. 17वें स्थान पर नोएडा का AQI 390 और 22वें स्थान पर हापुड़ का 370 तथा 35वें स्थान पर इलाहाबाद का 301 रिकॉर्ड किया गया है.
Air Pollution: सर्दी की शुरुआत में ही यूपी के शहरों की आबोहवा प्रदूषण के कारण खराब हो गई है. दीपावली से पहले इस स्थिति के पर्व के दौरान और खराब होने की संभावना है. बरेली जनपद में लगातार हवा जहरीली बनी हुई है. आसपास के जनपदों का भी यही हाल है. सोमवार रात दो बजे बरेली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 225 था. हालांकि, मंगलवार दोपहर 12 घटकर 190 रह गया था. मगर, शाम तक फिर बढ़ने की उम्मीद है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 0 से 50 AQI तक ठीक होता है. इसका सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है. लेकिन, संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. बरेली का AQI 200 से अधिक है. इसलिए बरेली में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है. फिजिशियन डॉक्टर नदीम कहते हैं, घर से निकलने से पहले मास्क जरूर लगा लें. बढ़ते AQI में बच्चे और बूढ़ों का ख्याल जरूर रखें. इसके साथ ही सुबह- शाम की वॉक के दौरान भी मास्क लगा लें. यह सेहत के लिए बेहतर रहेगा. हालांकि, दिल्ली एनसीआर में 301 से 400 तक पहुंच गया है. यह लंबे समय तक वातावरण में रहने से सांस की बीमारी का खतरा होता है. बरेली शहर का सिविल लाइंस सबसे अधिक प्रदूषित है. सिविल लाइंस का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 207 है, जबकि राजेंद्र नगर का 197 और सुभाषनगर का 167 है.यह तीनों ही बेहद खराब स्थिति में है. बरेली के साथ ही बदायूं, पीलीभीत, और शाहजहांपुर की हवा भी खराब हो रही है.यहां के सांस के मरीजों का सांस लेना मुश्किल है.
गाजियाबाद-मेरठ दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में
यूपी में प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ रहा है. यहां का गाजियाबाद दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर है. यहां का AQI मंगलवार सुबह 458 दर्ज किया गया. 5वें स्थान पर मेरठ रहा. मेरठ का AQI 450 रहा. 17वें स्थान पर नोएडा का AQI 390 और 22वें स्थान पर हापुड़ का 370 तथा 35वें स्थान पर इलाहाबाद का 301 रिकॉर्ड किया गया है. इसी तरह 40वें स्थान पर कैराना का AQI 287, 42वें स्थान पर फैजाबाद का 282, 49वें स्थान पर बुलंदशहर का 261 और 54वें स्थान पर यूपी की राजधानी लखनऊ का AQI 253 दर्ज किया गया. इसी तरह 56वें स्थान पर कानपुर का AQI 246, 61वें स्थान पर वृंदावन का 232, 66वें स्थान पर फिरोजाबाद का 236, 82वें स्थान पर हाथरस का AQI 203 और 83वें स्थान पर इटावा का AQI 203 है. यह सभी AQI बेहद खराब स्थिति में हैं. हर इंसान के लिए स्वच्छ हवा जरूरी है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए. इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है.
अस्पताल मरीजों से फुल, मरीज बेहाल
बरेली के अस्पताल मरीजों से फुल हो गए हैं. यहां प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बीमारियां बढ़ रही हैं. इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है. वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नली पतली होती चली जाती हैऔर इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है. वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती हैं.
प्रदूषण से हो सकती हैं दिल की गंभीर बीमारियां
वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है. इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है. वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं. प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते हैं. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
प्रदूषण से प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा
दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है. इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्जिमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है. प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है. वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली