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अतीक-अशरफ हत्याकांड: स्वतंत्र जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, सरकार ने दाखिल की है स्टेटस रिपोर्ट

माफिया अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. इस प्रकरण में वकील विशाल तिवारी ने स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने योगी सरकार में पुलिस मुठभेड़ पर भी सवाल उठाए हैं.

Lucknow: प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में मारे गए माफिया अतीक अहमद और खालिद अजीम उर्फ अशरफ के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी. इस मामले में वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इसके साथ ही अतीक और अशरफ की बहन आयशा नूरी ने भी हत्याकांड की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एसआर भट्ट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. इस स्टेटस रिपोर्ट में यूपी सरकार ने अपना जवाब भी दाखिल किया है.

इसमें बताया गया है कि अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है. मामले में कई गवाहों के बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी इस रिपोर्ट में विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के दिए सुझावों के अनुपालन की जानकारी भी दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया था कि पुलिस हिरासत में मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाते समय अतीक अहमद और अशरफ को मीडिया के सामने क्यों पेश किया गया था. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा गया कि हत्यारों को दोनों को अस्पताल ले जाने की जानकारी कैसे मिली.

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर लाइव दिखाई गई घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है. उत्तर प्रदेश पुलिस का एक विशेष जांच दल भी मामले की जांच कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को घटना और उसके बाद की स्थिति पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में उस घटना के संबंध में उठाए गए कदमों का भी खुलासा किया जाएगा जो संबंधित घटना से ठीक पहले हुई थी. इसके साथ ही न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान की आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उठाए गए कदमों का भी खुलासा करना होगा.

आदेश में गैंगस्टर विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने का जिक्र किया गया. विकास दुबे और उसके साथियों ने जुलाई 2020 में कानपुर जनपद के बिकरू गांव में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात को अंजाम दिया था. बाद में मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर यूपी लाए जाते समय विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया.

पुलिस के मुताबिक विकास दुबे ने कस्टडी में फरार होने की कोशिश की और इस दौरान वह मारा गया. पुलिस मुठभेड़ की सत्यता पर संदेह जताया गया. इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति चौहान के नेतृत्व में विकास दुबे की मुठभेड़ हत्या की जांच के लिए आयोग गठित किया गया.

वहीं अपनी याचिका में विशाल तिवारी ने अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की है. याचिका में 2017 के बाद से हुई 183 मुठभेड़ों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन करके दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

इसके साथ ही अतीक और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की भी जांच करने की अपील की गई है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस की ऐसी कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा हैं.

विशाल तिवारी की याचिका के अलावा अतीक और अशरफ की बहन आयशा नूरी ने भी हत्याकांड की जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आयशा नूरी ने याचिका में कहा है कि उसके दोनों भाइयों की हत्या में यूपी सरकार का हाथ है. यह राज्य प्रायोजित हत्या थी.

आयशा नूरी ने याचिका में अपने दोनों भाई की हिरासत में हत्या को एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग बताया है. याचिका में कहा गया है कि उच्चस्तरीय सरकारी एजेंटों के जरिए इस पूरी वारदात की योजना तैयार की गई.आयशा नूरी के मुताबिक उसके परिवार के सदस्यों को मारने के लिए प्लान बनाया गया. पुलिस अफसरों यूपी सरकार का इसे पूरा समर्थन मिला. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रतिशोध के तहत उसके परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने के लिए उन्हें पूरी छूट दी गई है.

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