अयोध्या : रामलीला में संजीवनी बूटी से लक्ष्मण की मूर्छा समाप्त होते ही श्रीराम की सेना में खुशी छा गयी. मेघनाथ वध और कुंभकरण वध की लीला ने दर्शकों को खूब रोमांचित किया. हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आते हैं. सुषेण वैद्य बूटी लक्ष्मण को खिलाते हैं. लक्ष्मण तुरंत मूर्छा से उठ जाते हैं. उनके पुनर्जीवित होते ही ‘जय श्री राम’ के जयकारे लगने लगते हैं.
दूसरे दृश्य में रावण को लक्ष्मण के जीवित होने का समाचार मिलता है, तो वह दुखी हो जाता है. रावण कुंभकरण को नींद से जगाने का आदेश देता है. सभी ढोल नगाड़े लाकर बजाते हैं. कुंभकरण जागता है और कहता हैं भैया इस घोर निंद्रा से जगाने का क्या कारण है. रावण कुंभकरण को राम-लक्ष्मण के बारे में बताता है, सीता हरण की जानकारी देता है. रावण के निर्देश पर सैनिक कुंभकरण को मदिरा एवं भोजन पान कराते हैं.
इसके बाद राम और कुंभकरण के बीच युद्ध होता है. इसमें कुंभकरण मारा जाता है. फिर मेघनाथ को युद्ध के लिए भेजा जाता है. अगले दृश्य में मेघनाथ अजेय यज्ञ कर रहा होता है. विभीषण के कहने पर लक्ष्मण मेघनाथ का यज्ञ नष्ट करते हैं. इसके बाद मेघनाथ क्रोधित हो जाते हैं और लक्ष्मण के साथ युद्ध शुरू हो जाता है. दोनों के बीच घमासान युद्ध शुरू होता है.
युद्ध के दौरान लक्ष्मण मंत्र पढ़ कर बाण छोड़ते हैं. मेघनाथ का शरीर कई भागों में विभक्त हो जाता है. मेघनाथ के निधन का समाचार सुनकर रावण शोक में डूब जाता है. मेघनाथ की पत्नी सुलोचना विलाप करती है.
कुंभकरण की भूमिका में मेरठ के भाजपा नेता मुखिया गुर्जर ने अपनी मजबूत संवाद शैली और अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया. युद्ध स्थल में प्रवेश करते ही कुंभकरण कहते हैं, कहां हैं राम, मेरे सामने आओ. मुझसे युद्ध करो. विभीषण के सामने आने पर उसे गले लगाते हैं. कुंभकरण राम दल में हाहाकार मचा देते हैं. लेकिन, उसका वध हो जाता है.