Ayodhya Dhannipur Mosque: अयोध्या में रामलला के 22 जनवरी 2024 को भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जहां तैयारी तेजी से जारी है और रविवार को अक्षत पूजन के साथ अनुष्ठान का शुभारंभ हो गया. वहीं सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में मस्जिद की नई डिजाइन इस महीने के अंत तक तैयार हो जाएगी. इसके बाद इसे हरी झंडी दी जाएगी. इसके ‘फर्स्ट लुक’ का मुंबई में अनावरण किया जा चुका है, जिसे उलेमाओं ने काफी पंसद किया. धन्नीपुर मस्जिद स्थल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व मुस्लिम पक्ष की ओर से बाबरी मस्जिद कहे जाने वाले मूल स्थान से लगभग 22 किलोमीटर दूर है. मस्जिद अब नई डिजाइन के मुताबिक बनाई जाएगी. इसके बाद अब ट्रस्ट डिजाइन का नक्शा नए सिरे से पास कराने के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण को आवेदन करेगा. इस बीच आर्थिक कारणों से धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद की नींव अब तक नहीं पड़ सकी है. धन्नीपुर गांव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार की ओर से दी गई पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद का निर्माण होना है. उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिली इस जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक फाउंडेशन अभी तक अपनी योजना को साकार करने के लिए शुरुआत नहीं कर पाया है.
फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन सिद्दीकी के मुताबिक अयोध्या के धन्नीपुर में इस मस्जिद के निर्माण के लिए कम से कम 12 करोड़ रुपए की शुरुआती लागत चाहिए. अभी फंड का इंतजाम नहीं होने की वजह से कार्य प्रभावित हुआ है. फाउंडेशन मस्जिद निर्माण की शुरुआत करने के लिए विकास शुल्क जमा करने को धन नहीं जुटा सका है. इस बीच इस्लामी देशों से मस्जिद निर्माण के लिए चंदा जुटाने को लेकर फाउंडेशन केंद्र सरकार से आयकर छूट के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट यानी एफसीआरए का प्रावधान भी नहीं करवा पाया है. इसके लिए फाउंडेशन को तीन साल की बैलेंस शीट जमा करना जरूरी है. फिलहाल दो साल की ही बैलेंस शीट बन पाई है.
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उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी के मुताबिक इस नवंबर के अंत तक मस्जिद का संशोधन डिजाइन तैयार हो जाएगा. यह संशोधन डिजाइन पुणे के एक वास्तुविद तैयार कर रहे हैं. मस्जिद निर्माण के लिए फंड का इंतजाम किया जा रहा है. देश में मस्जिद निर्माण के लिए दान करने वाले लोगों को 80जी के तहत आयकर में छूट मिलेगी. बीते 13 अक्टूबर को इस संबंध में मुंबई में एक अहम बैठक हुई थी. बैठक में मस्जिदों के 150 से ज्यादा उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं ने मस्जिद के निर्माण को लेकर आने वाली आर्थिक अड़चन पर चिंता जताई और इसके नाम और नशे में परिवर्तन करने का सुझाव दिया, जिसे पारित कर दिया गया. बैठक में इस मस्जिद का नामकरण पैगम्बर मोहम्मद साहब के नाम पर ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ रखने का निर्णय किया गया. साथ ही मस्जिद की पुरानी डिजाइन को भी बदलने पर भी सहमति बनी. इसके ‘फर्स्ट लुक’ का अनावरण किया गया. इसके बाद से इसका पूरा नक्शा तैयार किया जा रहा है.
नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आवंटित जगह पर बनने वाली नई मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद होगी. मस्जिद में 5000 पुरुषों और 4000 महिलाओं समेत 9000 श्रद्धालु एक साथ नमाज अदा कर सकेंगे. पूरे मस्जिद परिसर में अपने संसाधनों के माध्यम से अतिरिक्त भूमि की खरीद के साथ चिकित्सा, शैक्षिक और सामाजिक सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी. कहा जा रहा है कि इस मस्जिद की मीनार 11 किलोमीटर दूर से दिखाई देगी, और इसकी उंचाई 300 फीट से ज्यादा होगी. मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर इबादतगाह के अलावा लॉ कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और इंजिनियरिंग कॉलेज का भी निर्माण होगा. इस मस्जिद के लिए पहली ईंट मुंबई से अयोध्या जाएगी, जिसे यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रमुख जुफर फारुकी को सौंपा गया है.