Ayodhya Ram Mandir: कोठारी बंधुओं की बहन बोली- सपा को न मिले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता
अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान फायरिंग मारे गए कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा ने कहा कि समाजवादी पार्टी के किसी भी नेता को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में औपचारिक रूप से आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए.
अयोध्या (Ayodhya) में 1990 राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmabhoomi Movement) के दौरान पुलिस के तरफ से किए गए फायरिंग मारे गए कोठारी बंधुओं (Kothari Brothers) की बहन पूर्णिमा (Purnima Kothari) ने कहा कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के किसी भी नेता को रामलला (Ramlala) के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में औपचारिक रूप से आमंत्रित (Invitation) नहीं किया जाना चाहिए. दरअसल, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने कारसेवकों (Kar Sevaks) पर गोलीबारी (Firing) का आदेश दिया था, जिसमें उनके भाई सहित 10 लोग मारे गए थे. उत्तरी कोलकाता (Kolkata) की गलियों में पूर्णिमा कोठारी का घर है. वह राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या जाने की तैयारी करने में व्यस्त हैं. उसका उत्साह देखते ही बनता है. आखिरकार उनका 33 साल का लंबा इंतजार पूरा जो होने जा रहा है. उनके दो बड़े भाई 23 साल के राम कोठारी (Ram Kothari) और 20 साल के शरद कोठारी (Sharad Kothari) ने इस मंदिर की स्थापना के लिए अपना खून बहाया था. दोनों भाई उन कार सेवकों में शामिल थे, जिन्होंने 1990 में राम रथ यात्रा (Ram Rath Yatra) निकाली थी और 30 अक्टूबर, 1990 को विवादित बाबरी मस्जिद (Babri Masjid Demolition) के ऊपर भगवा झंडा (Saffron Flag) लहराया था.
पूरे देश को 22 जनवरी का होने वाले अयोध्या में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार हैं. पूर्णिमा कोठारी भावनाओं में बह गईं. कोठारी बंधुओं ने 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों के पहले जत्थे के सदस्य के रूप में अयोध्या में कारसेवा में भाग लिया था. दो दिन बाद 2 नवंबर को पुलिस कार्रवाई में उन दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. तब से कोठारी बंधुओं की छोटी बहन पूर्णिमा अपने बीमार माता-पिता के साथ लगातार संघर्षपूर्ण जीवन बिता रही हैं. वह कहती हैं कि उन्हें इस बात पर गर्व होगा कि उनके बेटों का सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं गया. मीडिया से बात करते हुए पूर्णिमा ने बताया कि कैसे उनके भाई बचपन से ही आरएसएस की विचारधारा और जिस धार्मिक माहौल में वे बड़े हुए थे, उससे जुड़े रहे थे.
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मुलायम सिंह यादव ने नहीं जताया अफसोस- पूर्णिमा
पूर्णिमा को याद है कि पुलिस कार्रवाई की आशंका के बावजूद, उसके माता-पिता अपने बेटों को कारसेवा के लिए भेजने से नहीं डरे थे. मां ने कहा था कि अपने बेटे को खोने के बावजूद उन्हें अपने कृत्य पर पछतावा नहीं है क्योंकि उन्होंने नेक काम के बलिदान दिया था. पूर्णिमा कोठारी ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि जिन लोगों ने गोलीबारी का आदेश दिया था, उन्हें प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए. उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने मुलायम सिंह यादव के 2017 में दिए गए भाषण को याद करते हुए कहा कि गोली चलाने के अपने आदेश को सही ठहराया था. मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि देश की एकता और अखंडता के सुरक्षा के लिए पुलिस बल द्वारा लोगों पर फायरिंग करना सही था.