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Ayodhya Ram Mandir: कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे रामलला, एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने किया तैयार

Ayodhya Ram Mandir सीएसआईआर-एनबीआरआई (CSIR NBRI) के वैज्ञानिकों ने रामलला के लिए दो खास हर्बल गुलाल तैया किए हैं. इसमें कचनार के फूलों का इस्तेमाल किया गया है. त्रेतायुग में कचनार अयोध्या का राज्य वृक्ष था.

By Amit Yadav | March 20, 2024 8:04 PM
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लखनऊ: अयोध्या राम मंदिर में (Ayodhya Ram Mandir) रामलला (Ramlala) इस होली में कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. सीएसआईआर-एनबीआरआई (CSIR NBRI) के वैज्ञानिकों ने कचनार के फूलों से बने गुलाल को खास तौर पर तैयार किया है. कचनार को त्रेतायुग में अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था. एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से भी एक हर्बल गुलाल तैयार किया है. संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी (Dr Ajit Kumar Shasny) ने दोनों हर्बल गुलाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को भेंट किए.

औषधीय गुण वाला कचनार का फूल
बौहिनिया प्रजाति (Bauhinia Variegata) को कचनार कहा जाता है. इसी के फूलों से हर्बल गुलाल बनाया गया है. कचनार को त्रेतायुग में अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था. इसे आयुर्वेद में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस फूल में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल आदि गुण भी होते हैं. एनबीआरआई ने इसी फूल से हर्बल गुलाल बनाया है. जिससे रामलला होली खलेंगे.

हर्बल गुलाल से नहीं होता त्वचा को नुकसान
एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी (Dr Ajit Kumar Shasny) ने गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से हर्बल गुलाल तैयार किया है. इन हर्बल गुलाल का परीक्षण किया जा चुका है और मनुष्य की त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है. उन्होंने बताया कि कचनार के फूलों से हर्बल गुलाल लैवेंडर फ्लेवर में बनाया गया है. गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से बने हर्बल गुलाल को चंदन फ्लेवर में विकसित किया गया है. उन्होंने बताया कि इन हर्बल गुलाल में रंग चमकीले नहीं होते क्योंकि इनमें लेड, क्रोमियम और निकल जैसे केमिकल नहीं होते हैं.

हाथ में रंग नहीं छोड़ता हर्बल गुलाल
फूलों से निकाले गए रंगों को प्राकृतिक घटकों के साथ मिला कर पाउडर बनाया जाता है. इसे त्वचा से आसानी से पोछ कर हटाया जा सकता है. गुलाल की बाजार में बेहतर उपलब्धता के लिए हर्बल गुलाल तकनीक को कई कंपनियों और स्टार्ट अप्स को हस्तांतरित किया गया हैं. डॉ. शासनी ने बताया कि बाजार में बिकने वाले गुलाल में खतरनाक रसायन होते हैं. इससे त्वचा, आंखों में एलर्जी, जलन और गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं. हर्बल गुलाल की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि यह हाथों में जल्दी रंग नहीं छोड़ेगा. एनबीआरआई ने विकसित हर्बल गुलाल होली के पर बिक रहे हानिकारक रासायनिक रंगों से बचने का विकल्प देता है.

अयोध्या में रामायणकालीन वृक्षों का हो रहा संरक्षण
निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अयोध्या में रामायणकालीन वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है. विरासत को सम्मान और परंपरा के संरक्षण देने का ये प्रयास प्रेरणादायक है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एनबीआरआई के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के कई स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिए अधिक अवसर और रोजगार के मौके उपलब्ध कराएगा.

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