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रामलला की 50 वर्ष से सेवा करने वाले सीताराम यादव को नहीं मिला निमंत्रण, राम जन्मभूमि केस में रह चुके हैं गवाह

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी होगी. इस समारोह में शामिल होने के लिए देश के दिग्गज लोगों को निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं. लेकिन उसी अयोध्या में कई वर्षों से रामलला को हर दिन उनके द्वारा बनाए गए प्रसाद का भोग लगाने वाले सीताराम को ही आमंत्रित नहीं किया गया है.

अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए 1990 में आंदोलन चलाया गया था. जिसमें कई लोगों ने अपनी जिंदगी तक कुर्बान कर दी तो कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया. उन्हीं में अयोध्या के रहने वाले सीताराम यादव भी शामिल थे. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले उनके परिवार का दर्द सुनकर मन व्यथित हो जा रहा है. सीताराम यादव का परिवार साल 1950 से ही रामलला के लिए प्रसाद बनाने का काम कर रहा है. आज भी ये परिवार रामलला के लिए हर रोज रबड़ी-पेड़े का भोग तैयार करता है. राम जन्मूभूमि मामले में खुद सीताराम यादव ने कोर्ट में अहम गवाही दी थी. मगर आज जब भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, अयोध्या बदल रही है तब इस परिवार के मन को एक बात खटक रही है. सीताराम यादव और उनके परिवार को इस बात की तकलीफ है कि राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से उनके परिवार को अब तक 22 जनवरी के दिन प्रस्तावित प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता नहीं दिया गया है. हर दिन रामलला को उनके द्वारा बनाए गए प्रसाद का भोग लगता है. मगर अब इस कार्यक्रम में उन्हें ही आमंत्रित नहीं किया गया है.

  • रामलला को भोग लगाने का सिलसिला 1950 से है जारी

  • राम जन्मभूमि केस में रह चुके हैं अहम गवाह

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रामलला को भोग लगाने का सिलसिला 1950 से है जारी

सीताराम यादव का कहना है कि निमंत्रण मिले या नहीं लेकिन हम अपने प्रभु श्रीराम की सेवा में सदैव लगे रहेंगे. हमारे पूरा परिवार रामलला की सेवा में ही है. बता दें कि जब रामलला को मिठाई का भोग नहीं लगवाया जाता था तब सीताराम यादव और उनके पिता उनको भोग के लिए बताशे बनाते थे. पूरे अयोध्या में सीताराम यादव की ये एक ही दुकान थी, जिस दुकान से रामलला के लिए भोग जाता था. ये सिलसिला 1950 से लगातार जारी है. देखा जाए तो पिछले करीब 70 सालों से सीताराम यादव का परिवार ही रामलला के लिए भोग तैयार कर रहा है. पिता की 20 साल पहले मौत हो गई. इसके बाद वह खुद भोग के लिए प्रसाद बनाने लगे.

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राम जन्मभूमि केस में रह चुके हैं अहम गवाह

गौरतलब है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद गिराई गई तब सीताराम यादव की छोटी सी दुकान वहां थी, इस दौरान इनकी दुकान को भी भारी नुकसान हुआ था. मगर सीताराम यादव के परिवार ने इसको लेकर सरकार से कोई मुआवजा नहीं लिया. परिवार ने कहा कि ये सब श्रीराम और उनकी सेवा के नाम पर हुआ है. बता दें कि बुजुर्ग सीताराम की आज भी रामलला मंदिर के पास छोटी सी दुकान है. हर रोज सीताराम और उनका परिवार ही 5 किलो रबड़ी का भोग रामलला के लिए बनाते हैं. सीताराम कहते हैं कि जब हमारे रामलला टेंट में थे और आज जब वह अपने भव्य मंदिर में जा रहे हैं तब से लेकर अब तक हम ही उनके लिए भोग बनाते आए हैं. अब इस काम में सीताराम यादव का बेटा-बेटी भी उनका साथ देते हैं. बता दें कि सीताराम यादव राम जन्मभूमि केस में भी अहम गवाह रहे. उन्होंने बताया कि जब मंदिर का ताला खोला गया और रामलला को निकाला गया तब भी मैं वहां था. मैंने ये सब अपनी आंखों से देखा था. इसके बाद हमारी दुकान और जमीन भी चली गई थी. आज मैं हमारे श्रीराम का मंदिर बनते देख रहा हूं. हमने अपना सब कुछ रामलला के लिए कर दिया. वहीं सीताराम यादव की बेटी का कहना है कि हमारे बाबा ने तो रामलला के लिए अपना सब कुछ दान कर दिया. आज जब राम मंदिर बन रहा है तो पिता बहुत खुश हैं तो वही हमारे बाबा की आत्मा को भी शांति मिलेगी. बता दें कि आज सीताराम यादव की अयोध्या में 2 मिठाई की दुकान भी हैं.

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