Ram Mandir in Ayodhya Bhumi Pujan in Ayodhya अयोध्या : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन के अवसर पर सौहार्द मंच भी सजने को लेकर चर्चा जोरों पर है. अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूखी, अयोध्या के समाजसेवी पद्म श्री मोहम्मद शरीफ, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी आमंत्रित लोगों की सूची में शामिल हैं. गौर हो कि इकबाल अंसारी के पिता हातिम अंसारी न सिर्फ बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार थे, बल्कि वे राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे रामचंद्र परमहंस के करीबी दोस्त भी थे. सबसे खास बात यह है कि दोनों के बीच दोस्ती भी ऐसी कि मुकदमा लड़ने भी साथ जाते थे.
उल्लेखनीय है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा था और शुरुआत से ही मस्जिद के पक्ष में रहा था. इन सबके बावजूद बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूखी को राम मंदिर भूमि पूजन के लिए अतिथियों की सूची में शामिल किया गया है. वहीं अयोध्या के समाजसेवी एवं लावारिस लाशों के मसीहा कहे जाने वाले मोहम्मद शरीफ खिड़की अली बेग में रहते हैं और 2020 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद शरीफ अब तक पांच हजार से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने शनिवार को कहा कि देश में अनेक ‘‘आक्रांता” आए और अपने चिन्ह छोड़ गए जिन्हें देखकर ‘‘वेदना” होती है तथा ऐसे में राम मंदिर का बनना ‘‘राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक” है. जोशी ने कहा, ‘‘अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण केवल आस्था के एक केंद्र या एक और मंदिर की स्थापना नहीं बल्कि देश की अस्मिता और मानव कल्याण से जुड़ा विषय है.”
जोशी श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के विषय पर अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘देश में अनेक आक्रांता आए और वे अपने चिन्हों को छोड़ गए. उन चिन्हों देखकर वेदना होती है. ऐसा महसूस होता है कि क्या यह देश हमेशा आक्रांताओं से संघर्ष ही करता रहेगा.” उन्होंने कहा, ‘‘ राम मंदिर का बनना राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है. ”
संघ के सरकार्यवाह ने कहा, ‘‘ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण केवल एक मंदिर की स्थापना नहीं है. देश में भगवार राम के हजारों मंदिर हैं. इन मंदिरों की श्रृंखला में एक और मंदिर बन जाए, यही केवल अयोध्या आंदोलन का भाव नहीं रहा.” उन्होंने कहा कि इस मंदिर के संदर्भ में भिन्न दृष्टि से देखने और भगवान राम के जीवन को महसूस करने की जरूरत है जो अनुकरणीय आदर्श हैं. आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण एक नये परिवर्तन की शुरूआत है.
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