Ayodhya News: रामनगरी अयोध्या में रामलला के 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर शुक्रवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अहम बैठक होगी. इसमें गर्भगृह में विराजमान होने वाली रामलला की मूर्ति का चयन होगा. इसके साथ ही रामलला के जिस स्वरूप का देखने के लिए लोग लालायित हो रहे थे, उसका इंतजार समाप्त हो जाएगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्देश पर रामलला की तीन मूर्तियां दिन रात की कड़ी मेहनत और श्रद्धाभाव से तैयार की गई हैं. इसे बनाने में शिल्पकारों ने हर बारीकी का बेहद ध्यान रखा है. इनमें भगवान राम बाल स्वरूप में नजर आ रहे हैं और उनका आभामंडल बेहद आकर्षित करने वाला होगा. अपने आराध्य की प्रतिमा के भाव देखकर लोगों को रामायणकाल में होने का एहसास होगा. देश के तीन चुनिंदा मूर्तिकारों ने अयोध्या में रामसेवकपुरम में रामलला की ये तीन प्रतिमाएं तैयार की हैं. अब ट्रस्ट की बैठक में रामलला की मूर्ति का चयन किया जाएगा.
कहा जा रहा है कि अयोध्या राम मंदिर के लिए तीनों कलाकारों की मूर्तियां ट्रस्ट के सभी सदस्यों के सामने रखी जाएंगी. मूर्तियां देखकर सभी सदस्य वोटिंग करेंगे, जिस मूर्ति के पक्ष में ज्यादा सदस्य होंगे, उसे गर्भगृह में विराजमान करने के लिए चुना जाएगा. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 22 जनवरी को होगी. प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त का क्षण 84 सेकंड का मात्र होगा. इस दिन दोपहर 12 बजकर 30 मिनट 08 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड का मुहूर्त काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है. ये मुहूर्त देश के लिये शुभ होगा. पांच दिनों की पूजा के बाद सिर्फ 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला को गर्भगृह में स्थापित करेंगे.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबसे पहले इस विग्रह की आरती उतारेंगे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक भगवान राम की पांच साल की उम्र की कोमलता को प्रतिबिंबित करने वाली 51 इंच ऊंची मूर्ति को तीन डिजाइनों में से चुना जाएगा. जिस मूर्ति में सबसे ज्यादा दिव्यता होगी और उसे पांच साल के बच्चे जैसे नजरिए से बनाया गया होगा, उसी का चयन गर्भगृह में स्थापना के लिए किया जाएगा.
रामलला की स्थापना के लिए जो तीन मूर्तियां तैयार की गई हैं. उनमें से एक सफेद संगमरमर की है. रामसेवकपुरम में राजस्थान के मकराना संगमरमर से प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने रामलला की मूर्ति बनाई है. इसके साथ ही रामलला की दो अन्य मूर्तियां भी निर्मित की गई हैं. यह दोनों मूर्तियां कर्नाटक की तुंगभद्रा नदी के किनारे की पहाड़ी से लाई गईं शिलाओं से निर्मित की गई हैं. यह शास्त्रों में वर्णित श्रीराम के श्याम अथवा कृष्ण वर्ण के अनुरूप हैं. ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक रामलला की मूर्ति ने पांच वर्षीय बालक की मुख-मुद्रा के अनुरूप आकार लिया है. इसमें बाल सुलभ कोमलता संयोजित की गई है. निर्दोष अनासक्ति है, तो सत्य के सापेक्ष संकल्प की दृढ़ता का भी समायोजन नजर आएगा. मुख पर स्मित हास्य होगा, तो हाथ में धनुष भी होगा.
राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पांच लोग मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम के दौरान गर्भगृह में प्रधानमंत्री के साथ प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम मंदिर के मुख्य आचार्य सत्येंद्र मौजूद रहेंगे. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के वक्त रामलला की मूर्ति की आंखों से जिस वक्त पट्टी हटाई जाएगी, उस वक्त गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद होंगे. पूजा कार्यक्रम के लिए आचार्यों की तीन टीमों का गठन किया गया है. पहली टीम की अगुवाई स्वामी गोविंद देव गिरी करेंगे. आचार्यों की दूसरी टीम का नेतृत्व कांची कामकोटि शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती करेंगे. इसके अलावा तीसरी टीम में काशी के 21 विद्वान रहेंगे. प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त गर्भगृह का पर्दा बन्द रहता है. पट्टी हटाने के बाद मूर्ति को आइना दिखाते हैं, जिससे कि सबसे पहले खुद भगवान अपना चेहरा देख सकें.
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मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह सात दिनों तक चलेगा. अनुष्ठान प्रक्रिया की शुरुआत 16 जनवरी से होगी. 22 जनवरी को श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी.
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16 जनवरी-मंदिर ट्रस्ट की ओर से नियुक्त यजमान द्वारा प्रायश्चित, सरयू नदी के तट पर दशविध स्नान, विष्णु पूजन और गोदान.
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17 जनवरी-रामलला की मूर्ति के साथ अयोध्या भ्रमण करेगी शोभायात्रा, मंगल कलश में सरयू का जल लेकर मंदिर पहुंचेंगे श्रद्धालु.
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18 जनवरी-गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्तु पूजन आदि से विधिवत अनुष्ठान आरंभ होगा.
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19 जनवरी-अग्नि स्थापना, नवग्रह स्थापना और हवन.
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20 जनवरी- मंदिर के गर्भगृह को सरयू के पवित्र जल से धोने के बाद वास्तु शांति और अन्नाधिवास होगा.
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21 जनवरी-125 कलशों से दिव्य स्नान के बाद शैयाधिवास कराया जाएगा.
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22 जनवरी- सुबह पूजन के बाद दोपहर में मृगशिरा नक्षत्र में रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा होगी.