Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर की छत से पहली बारिश में ही टपका पानी, महंत सत्येंद्र दास ने कहा-दूर करें समस्या

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर में पहली ही बारिश से पानी टपकना शुरू हो गया है. मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने इस समस्या का जल्द समाधान कराने के लिए कहा है.

By Amit Yadav | June 24, 2024 7:52 PM

अयोध्या: राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के उद्घाटन के छह महीने में ही निर्माण कार्य की खामियां सामने आना शुरू हो गई हैं. रविवार को अयोध्या में हल्की बारिश के बाद ही सीलन और पानी टपकने की शिकायतें सामने आने लगी हैं. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है. वहीं मंदिर के महंत सत्येंद्र दास ने भी पानी टपकने और गर्भ गृह से पानी न निकलने की समस्या पर ध्यान आकर्षित कराया है.

मुख्य पुजारी ने समस्या का समाधान करने के लिए कहा

राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास (Mahant Satyendra Das) के अनुसार जो भी मंदिर बन गए और जहां रामलला विराजमान हैं, उसमें पहली बारिश में ही पानी टपकने लगा. गर्भ गृह के अंदर पानी भी भर गया था. इस पर ध्यान देना चाहिए कि कौन से कमी रह गई है जिसके कारण पानी टपक रहा है. जो बना है उस पर भी ध्यान देना चाहिए, ये बहुत जरूरी है. इस समस्या का सामधान आज-कल में सोच कर निश्चित कर लें. नहीं तो बारिश शुरू होगी तो पूजा-अर्चना और दर्शन बंद हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि गर्भ गृह के सामने जहां नए पुजारी बैठते हैं, जहां पूजा-पाठ होती है, दर्शन स्थल है. जहां वीआईपी दर्शन स्थल है वहां पानी भर गया था.

गुरु मंडप खुला होने के कारण आ रहा पानी: नृपेंद्र मिश्रा

श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि मैं अयोध्या में हूं. मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा. ऐसा अपेक्षित है क्योंकि गुरु मंडप खुला हुआ है. दूसरी मंजिल और शिखर के पूरा होने से यह ढक जाएगा. उन्होंने कहा कि मैंने कुछ रिसाव भी देखा है. पहली मंजिल पर अभी काम चल रहा है. काम पूरा होते ही नाली को बंद कर दिया जाएगा. गर्भगृह में कोई जल निकासी नहीं है. क्योंकि सभी मंडपों में पानी की निकासी के लिए ढलान बनाई जाती है. गर्भगृह से पानी को मैनुअली निकाला जाता है. भक्त भगवान पर अभिषेक नहीं कर रहे हैं. इसमें कोई डिज़ाइन या निर्माण का मुद्दा नहीं है. जो मंडप खुले हैं, उनसे बारिश का पानी गिरने की बात हो रही है, लेकिन नागर वास्तुशिल्प के अनुसार उन्हें खुला रखने का निर्णय लिया गया था.

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