Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में रामलला के 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले श्रमिक दिन रात कड़ी मेहनत में जुटे हैं. मंदिर के हर काम को बेहद बारीकी से करने वाले ये श्रमिक कई महीनों से लक्ष्य के अनुरूप काम कर रहे हैं. अब जैसे जैसे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तारीख नजदीक आती जा रही है, समय के साथ इनकी रेस और तेज हो गई है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक इन श्रमिकों की दिन रात की कड़ी मेहनत का स्वरूप जब भव्य राम मंदिर के रूप में नजर आएगा तो मंदिर के गर्भगृह सहित अन्य नक्काशी और खूबसूरती देखकर श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. नागर शैली में निर्मित हो रहे राम लला के मंदिर निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिक खुद को गौरवशाली मानते हैं. झारखंड के श्रमिक सुदामा चौहान इन्हीं में से एक हैं. उनकी पूरी दिनचर्या लंबे समय से राम मंदिर निर्माण में ही गुजरती है. इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद वह खुद को भाग्यशाली समझते हैं, क्योंकि उन्हें इस कार्य से जुड़ने का मौका मिला. अपना अनुभव बताते हुए सुदामा की आंखों में चमक साफ दिखाई देती है. सुदामा चौहान और उनके 4000 साथी दो मंजिला राम मंदिर का काम पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. 2.77 एकड़ के इस परिसर में नागर शैली में निर्मित रामलला का भव्य मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. यह 392 स्तंभों के जरिए खड़ा किया गया है और इसमें 44 दरवाजे हैं, जिनमें से 14 सोने से मढ़े हुए हैं.
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के मुताबिक यह बेहद खुशी की बात है कि श्रद्धालुओं को अब जल्द ही रामलला के दर्शन भव्य मंदिर में होंगे. मुख्य मंदिर में प्रवेश पूर्व से होगा और गर्भगृह इसका सबसे पश्चिमी बिंदु होगा. मंदिर में मूर्तियों के दो अलग-अलग सेट होंगे, भूतल पर भगवान रामलला बाल स्वरूप और पहली मंजिल पर दरबार लगाते दर्शन देंगे. मंदिर का परकोटा लगभग 732 मीटर लंबा होगा.
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों के मुताबिक राजस्थान, मध्य प्रदेश से पत्थर, महाराष्ट्र से लकड़ी, तेलंगाना से ग्रेनाइट, तमिलनाडु के बढ़ई, कर्नाटक के ग्रेनाइट श्रमिक, राजस्थान से मूर्ति नक्काशी करने वालों और ओडिशा के बलुआ पत्थर नक्काशी करने वालों ने कड़ी मेहनत के बाद रामलला के भव्य मंदिर को मौजूदा आकार दिया है. चंपत राय के मुताबिक मंदिर निर्माण के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में नींव से जुड़ा काम था, जिससे भूकंप, सरयू में बाढ़ आदि को लेकर मंदिर को सुरक्षित रखा जा सके. इसके लिए पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग किया गया और उसे आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए काम को पूरा करने में सफलता मिली.
चंपत राय ने बताया कि मुख्य मंदिर के अलावा दो मंजिला और 14 फीट चौड़े परिक्रमा पथ के चारों कोनों में से प्रत्येक पर मंदिर बनाए जाएंगे, जो रामायण को चित्रित करने वाली 125 कांस्य मूर्तियों से सुसज्जित होंगे. मुख्य संरचना के दक्षिण में सात अतिरिक्त मंदिर बनाए जाएंगे, जो विभिन्न ऋषियों और रामायण के पात्रों जैसे निषादराज, अहिल्या और शबरी को समर्पित होंगे. अहम बात है कि 70 एकड़ के विशाल भूखंड का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 600 पौधों के लिए खाली छोड़ दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि गुलाबी बलुआ पत्थर के मंदिर की कल्पना पहली बार 1980 के दशक के अंत में की गई थी, जब तत्कालीन विहिप प्रमुख अशोक सिंघल ने वास्तुकार चंद्रकांत बी. सोमपुरा से संपर्क किया था. उन्होंने 2019 के फैसले के बाद इसका विस्तार किया और कई नए बिंदुओं को इसमें शामिल किया.
380 फीट लंबे और 250 फीट चौड़े मंदिर में भूतल का काम पूरा हो चुका है और पहली मंजिल का काम खत्म होने वाला है. जमीन से शिखर 161 फीट ऊंचा होगा. लगभग 2.1 मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर इसमें इस्तेमाल कयिा गया है, जिसमें गुलाबी बलुआ पत्थर, सफेद संगमरमर और ग्रेनाइट शामिल हैं. प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश अपाले बताते हैं कि कुल चार हजार श्रमिकों में से चार सौ लोगों ने सिर्फ खंभों को तराशने का काम किया, प्रत्येक को पूरा करने में 15-20 दिन लगे. चंपत राय के मुताबिक एक समय में 800 तीर्थयात्रियों को चार कतारों में मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. भोग के रूप में बाहरे से फूल या प्रसाद की अनुमति नहीं होगी. ट्रस्ट मुफ्त में प्रसाद वितरित करेगा.
चंपत राय ने बताया कि यह परिसर दो सीवेज उपचार संयंत्रों, एक जल उपचार संयंत्र और राज्य ग्रिड के लिए सीधी बिजली लाइन के साथ आत्मनिर्भर है. उन्होंने बताया कि 100 शौचालयों वाला एक शौचालय परिसर, 25 हजार लोगों की क्षमता वाला तीर्थस्थल केंद्र और एक स्वास्थ्य केंद्र केंद्र भी बनाया जाएगा. मंदिर में एक दिन में लगभग दो लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. इनमें से कई भगवान राम को समर्पित इस तीर्थनगरी में एक हजार से अधिक छोटे और बड़े मंदिरों में से दर्शन के लिए अयोध्या में रुकेंगे. मंदिर परिसर के बाहर सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है. नव निर्मित फुटपाथ बनाए गए हैं. स्थानीय दुकानदारों के मुताबिक अयोध्या शहर का एक अलग स्वरूप नजर आ रहा है. परिसर में एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा, जिसमें कई कलाकृतियां रखी जाएंगी. इसमें 2003 में अदालत के आदेश पर खुदाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में मिली कलाकृतियां शामिल हैं.