अयोध्या: देश के पांच लाख मंदिरों में होगा रामलला का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, इस दिन विराजमान होंगे भगवान
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने पर जश्न केवल यहीं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में मनाया जाएगा. देशभर के पांच लाख मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे, इस उत्सव की आभा पूरे देश में नजर आएगी. हर श्रद्धालु प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का साक्षी बन सकेगा.
Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य तेजी से पूरा होने की ओर अग्रसर है. अब तय हो गया है कि अगले वर्ष 15 जनवरी से 24 जनवरी 2024 के बीच रामलला को शुभ मुहूर्त में गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा. इसके लिए निर्माण कार्य की लगातार समीक्षा की जा रही है. मंदिर के लिए सभी जरूरी काम दिसंबर तक हर हाल में पूरे कर लिए जाएंगे.
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में मुख्य यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. दिव्य-भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव अद्भुत व ऐतिहासिक होगा. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. वहीं रामलला का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव अयोध्या में राम मंदिर सहित देशभर के पांच लाख मंदिरों में भी आयोजित किया जाएगा. इसे लेकर अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय ने बताया कि सभी सनातनी अपने-अपने क्षेत्रों के मंदिरों में उत्सव में शामिल होंगे. इसके लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर भी टोलियां बनाई जाएंगी.
ये समारोह प्राण प्रतिष्ठा समारोह के 10 दिन पहले से शुरू होगा. लोग मंदिर में संकीर्तन करेंगे. वहीं सिख, जैन मत के श्रद्धालु की अपनी परंपरा के अनुसार स्थानीय स्तर पर अलग-अलग आयोजन करेंगे.
पूरे देश के मंदिरों में उत्सव के लिए संपर्क का जिम्मा तीर्थ न्यासी स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ, तीर्थ क्षेत्र कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरी महाराज को सौंपा गया है. इसके साथ ही अयोध्या के 500 मंदिरों में एलईडी स्क्रीन लगाने की भी बात कही जा रही है. हालांकि इसके लोगों किसी संस्था पर बोझ नहीं डाला जाएगा. लोग स्वेच्छा से प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ा उत्सव मना सकेंगे.
राममंदिर में देश की संस्कृति की झलक दिखेगी. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि दो साल में जब पूरा मंदिर बन जाएगा तब पता चलेगा कि मंदिर निर्माण में सभी राज्यों का किसी न किसी प्रकार का योगदान है.
उन्होंने बताया कि मंदिर में जिन पत्थरों का प्रयोग हो रहा हैं वे राजस्थान व कर्नाटक से आए हैं. रामलला की अचल मूर्ति कर्नाटक और राजस्थान के पत्थरों से बन रही है. राममंदिर के दरवाजे महाराष्ट्र के सागौन की लकड़ियों से बन रहे हैं. दरवाजों पर नक्काशी का काम कन्या कुमारी के कारीगर कर रहे हैं. इस तरह मंदिर निर्माण में पूरे देश का योगदान है.