अयोध्या: राम जन्मभूमि में जिस मूर्ति की कई दशक से पूजा हो रही है, उसे भी नए मंदिर में स्थापित किया जाएगा. राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी महाराज ने मीडिया से बातचीत में ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा से पहले यह मूर्ति स्थापित हो जाएगी. 23 दिसंबर 1949 से इस मूर्ति की पूजा होती है. उन्हीं रामलला विराजमान के नाम से केस लड़ा गया. इसलिए वह मूर्ति महत्वपूर्ण है. उसी के नाम से केस जीता गया. इसलिए वह मूर्ति भी मंदिर में रहेगी. जैसे नई मूर्ति की पूजा अर्चना होगी. वैसे ही पुरानी मूर्ति की भी पूजा अर्चना होगी. मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी ने कहा कि रामलला विराजमान की मूर्ति छोटी है. उसके सभी लोग दर्शन नहीं कर पाते हैं. इसलिए बड़ी मूर्ति की जरूरत पड़ी है. नई मूर्ति पांच वर्ष के बालक की है.
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राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा की पूजा पर भी चर्चा की. उनके अनुसार खरमास 14 को समाप्त हो जाएगा. इसलिए 15-16 से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू हो जाएगा. इसमें देवी-देवता, नव ग्रह, दिशाओं की पूजा होती है. उसके बाद मूर्ति को नगर भ्रमण कराएंगे. अगर नगर भ्रमण नहीं कराएंगे तो नए मंदिर का परिसर भ्रमण कराएंगे. फिर अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास जलाधिवास सहित कई अन्य प्रक्रियाएं होंगी. प्राण प्रतिष्ठा से पहले सारी प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी. इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा कार्य पूरे होंगे. प्रधानमंत्री से प्राण प्रतिष्ठा में क्या कराएंगे, यह प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले आचार्य बताएंगे.
रामलाल की मूर्ति की आंख पर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पट्टी बांधने की परंपरा पर सत्येंद्र दास जी ने बताया कि जिस भगवान की मूर्ति होती है, उसकी शक्ति मंत्रों के माध्यम से उसमें आ जाती है. यह शक्ति आंख से बाहर न निकल जाए, इसलिए उस पर पट्टी बांधी जाती है. जब मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी, तब आंखों से पट्टी को खोला जाएगा. पट्टी को खोलते समय यह ध्यान रखा जाता है के सामने कोई न हो. पट्टी बगल से खोली जाती है. आंख पर पट्टी बांधने का कारण सिर्फ यह है कि भगवान की शक्ति किसी को हानि न पहुंचा दें. पट्टी प्राण प्रतिष्ठा के बाद खोलने का विधान है.इसके बाद रामलला को शीशा दिखाया जाएगा. फिर सोने की सींक से उन्हें काजल लगाया जाएगा.
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