Ayodhya: श्री राम मंदिर की विशेषताओं का जन्मभूमि ट्रस्ट ने किया खुलासा, जानें क्या होगा खास

22 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी. श्री राम मंदिर की क्या खासियत होगी, इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साझा की है. साथ ही मंदिर परिसर के मॉडल की फोटो भी जारी की है.

By Amit Yadav | January 4, 2024 3:06 PM

लखनऊ: अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. 22 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी. मंदिर को देखने के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ अभी से ही उमड़नी शुरू हो गई है. श्री राम मंदिर की क्या खासियत होगी, इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने साझा की है. साथ ही मंदिर परिसर के मॉडल की फोटो भी जारी की है.

अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है

  • मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी

  • मंदिर तीन मंजिला होगा, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट, मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार

  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा

  • मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप

  • खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं

  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा


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  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था होगी

  • मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा, चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी

  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा

  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप रहेगा

  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे

  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है, वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है

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  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा, धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है

  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है, इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है

  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है

  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे

  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी

  • मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी

  • मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परंपरानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है

  • पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा

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