Loading election data...

Ram Mandir Pran Pratishtha: 114 कलश के औषधीय जल से हुआ श्री राम का स्नान, प्राण प्रतिष्ठा कल

श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में होगी. प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के पहले होने वाले अनुष्ठान का रविवार को 6वां दिन था. एक तरफ नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान हो रहा है. वहीं यज्ञशाला में श्री रामलला विराजमान की पूजा की गई. उन्हें रात को 8 बजे नए मंदिर में रखा गया.

By Amit Yadav | January 21, 2024 10:50 PM
an image

अयोध्या: श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान छठवें दिन रविवार को सुबह नौ बजे शुरू हुआ. 114 कलशों में औषधियुक्त एवं देश के विभिन्न तीर्थों से लाये गये पवित्र जल से श्रीरामलला की मूर्ति का स्नान कराया गया. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में नित्य के पूजन, हवन और पारायण के साथ अनुष्ठान प्रक्रिया शुरू हुई. श्री रामलला के विग्रह को मध्याधिवास में रखा गया. रविवार को ही रात्रि जागरण अधिवास भी हुआ. यज्ञशाला में श्रीरामलला के पुराने विग्रह की भी पूजा चल रही है. चेन्नई, पुणे सहित कई स्थलों से मंगाये गये विविध फूलों से पूजन.

रविवार की पूजा में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से अनिल मिश्र सपरिवार और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह एवं अन्य लोग शामिल थे. प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की प्रक्रिया 16 जनवरी को दोपहर बाद सरयू नदी से शुरू हुई थी. 17 जनवरी को श्रीरामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में आगमन हुआ था. सोमवार 22 जनवरी दोपहर अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सम्पन्न होगा. प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

Also Read: Ayodhya Security: अयोध्या में 13 हजार सुरक्षाकर्मी, 10 हजार सीसीटीवी कैमरे और सरयू में स्पीड बोट से निगरानी
प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंगल ध्वनि से गूंजेगा राम मंदिर

अयोध्या धाम में सोमवार को श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत मंगल ध्वनि से होगी. श्रीरामजन्मभूमि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के ऐतिहासिक अवसर पर सुबह 10 बजे से मुहूर्त के ठीक पहले तक, लगभग 2 घंटे के लिए ‘मंगल ध्वनि का आयोजन किया जाएगा. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा में किसी भी शुभ कार्य, अनुष्ठान, पर्व के अवसर पर देवता के सम्मुख आनंद और मंगल के लिए पारंपरिक ढंग से मंगल-ध्वनि का विधान रचा गया है. विभिन्न राज्यों के पच्चीस प्रमुख और दुर्लभ वाद्य यंत्रों के मंगल वादन से अयोध्या में ये प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न होगा.

इन राज्यों के प्रमुख वाद्यों का होगा वादन

भारतीय परंपरा के वादन में जितने प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, सभी का मंदिर प्रांगण में वादन होगा. इनमें उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्यप्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावणहत्था, बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम,तविल, मृदंग और उत्तराखंड का हुड़का, ऐसे वाद्ययंत्रों का वादन करने वाले अच्छे से अच्छे वादकों का चयन किया गया है. ये वादन ऐसे समय में चलेगा जब प्राण प्रतिष्ठा का मंत्रोच्चार नहीं हो रहा होगा.

Exit mobile version