वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के हाइकोर्ट इलाहाबाद के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुने बिना कोई कार्रवाई को जल्दबाजी मानते हुए अपने अगले आदेश तक निचली अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने को कहा है. हाइकोर्ट के आदेश के अनुसार सोमवार से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया शुरू की जानी थी. ज्ञानवापी मस्जिद में मिले ‘शिवलिंग’ गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई तो मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) की जिस 52 पेज की रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला दिया है, उसकी कोई वैज्ञानिकता नही है. वह कुछ विशेषज्ञों की राय के आधार पर निर्णय दिया गया है.
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी खींचा कि मामला संवेदनशील है. कोर्ट के फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. हालांकि हिन्दू पक्ष के वकील ने इसका खंडन करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखने के पक्ष में तर्क दिए. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर अपने अगले आदेश तक रोक लगाने का फैसला दिया. देश के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट इस मामले की समीक्षा करेगा. संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया जा रहा है. उनके जवाब के बाद फैसला सुनाया जाएगा. इस मामले में अब 7 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. तब तक ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर रोक लगी रहेगी.
हाई कोर्ट ने 12 मई को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित ‘शिवलिंग’ का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ कराने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश पर अमल कर एएसआइ को यह पता लगाना था कि शिवलिंग की उम्र कितनी है. इसी आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. ज्ञानवापी मस्जिद के वजू वाले क्षेत्र को लेकर विवाद है. हिंदू पक्षकार का दावा है कि यहां शिवलिंग है और इसकी पूजा की इजाजत मांगी थी. मस्जिद की दीवार से मां श्रृंगार गौरी की पूजा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में चीफ जस्टिस आफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मस्जिद कमेट की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. हिंदू पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट कोई आदेश करें उससे पहले आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रिपोर्ट को मंगाकर एक बार उस पर विचार किया जाए. इसपर कोर्ट ने कहा कि हम एएसआई की रिपोर्ट को भी देखेंगे. पहले हम परिस्थिति को देखेंगे, हमें इस मामले में बेहद सावधानी से डील करना होगा. मस्जिद समिति के वकील हुजैफा अहमदी ने कोर्ट के फैसले की तारीफ की और कहा कि वह स्थिति को वाकई समझ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगा.