यूपी के बस्ती जिले में महिला नायब तहसीलदार के तरफ से राजस्व अधिकारी पर मारपीट और दुष्कर्म की कोशिश के लगाए गए आरोपों को जांच कमेटी ने निराधार बताया है. इस मामले में प्रशासन की ओर से गठित विशाखा कमेटी की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. सोमवार देर शाम सौंपी रिपोर्ट में कमेटी ने पूरे प्रकरण में बलरामपुर उतरौला के व्यक्ति की भूमिका को संदिग्ध बताया है. मामले की गंभीरता से जांच करने की सिफारिश की है. महिला अधिकारी ने नायब तहसीलदार पर दुष्कर्म का प्रयास और जान ने मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. इस मामले में पुलिस ने केस भी दर्ज किया है. वहीं, मामला सामने आते ही डीएम ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. तीन महिला राजपत्रित अधिकारियों की कमेटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला नायब तहसीलदार के आवास में कोई अन्य पुरुष मौजूद था, जिसने आरोपी राजस्व अधिकारी को फोन पर अपशब्द कहे. पीड़िता को चोट कैसे आई, आवास पर आया व्यक्ति कौन था तथा किस व्यक्ति ने फोन करके धमकी दी थी, इन सभी तथ्यों के संबंध में गहराई से जांच के लिए केस दर्ज कर विवेचना की संस्तुति की गई है.
डीएम अंद्रा वामसी ने एसपी गोपाल कृष्ण चौधरी के संयुक्त हस्ताक्षर से यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला से महिला अधिकारी के बीच मित्रवत संबंध थे. छोटी दिवाली के दिन दोनों साथ-साथ अधिकारियों के घर मिठाई पहुंचाने गए थे. लौटने के बाद पटाखे की दुकानों की जांच की थी. कंपनीबाग के पास स्थित एक रेस्टोरेंट में खाना खाए थे. फिर अपने-अपने आवास पर चले गए. रात करीब 11:05 बजे के बाद महिला नायब तहसीलदार के मोबाइल फोन से राजस्व अधिकारी को कई बार व्हाटस एप कॉल की गई. रिसीव करने पर किसी पुरुष की आवाज आई और उसने राजस्व अधिकारी को अपशब्द कहे.
जांच के दौरान लिए गए बयान व मोबाइल चैट के अवलोकन तथा गोपनीय जांच से पाया गया है कि 12 नवंबर की रात में महिला अधिकारी के आवास पर कोई व्यक्ति आया था. उसी ने उनके मोबाइल से घनश्याम शुक्ल के मोबाइल फोन पर व्हाटस एप कॉल करके अपशब्द कहे और महिला अधिकारी के बारे में अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए धमकी दी. आरोपी घनश्याम महिला अधिकारी का कुशल क्षेम लेने उनके आवास पर गए थे. वहां किसी व्यक्ति और महिला अधिकारी में कहासुनी हो रही थी. रिपोर्ट के अनुसार, घनश्याम शुक्ल ने मैम-मैम की आवाज लगाई तो वह व्यक्ति दरवाजा खोलकर भागा. उसे देखने के लिए जैसे ही तेजी से घनश्याम पीछे के दरवाजे की तरफ से गए तो उनकी चप्पल छूट गई थी.
महिला अधिकारी के नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल पर लगाए गए आरोपों के संबंध में विशाखा गाइडलाइन के अनुसार कमेटी का 16 नवंबर को गठन किया गया था. इसमें प्रीति खरवार क्षेत्राधिकारी रुधौली को अध्यक्ष तथा सुनीता सिंह, पीओ डूडा एवं कीर्ति सिंह अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत मुंडेरवा को सदस्य नामित किया गया था.
महिला और पुरुष अधिकारी के बीच हुए मामले की 16 नवंबर को ही उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई थी. अगले दिन 17 नवंबर को एक उच्चाधिकारी के कक्ष में लंबी वार्ता चली, जिसमें महिला अधिकारी व उनके परिवारी जन मौजूद थे. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बातचीत के दौरान महिला अधिकारी का रुख आरोपी के प्रति नरम हो गया था, मगर बाद में वह एफआईआर दर्ज कराने पर अड़ गई. उनकी बहन ने अधिकारी के कक्ष में तहरीर लिखी, जिस पर महिला अधिकारी ने हस्ताक्षर करके कोतवाली पुलिस को सौंप दिया.
घटना के बाद यह बात सामने आई थी कि महिला अधिकारी के दरवाजे की कुंडी आरोपी अफसर ने तोड़ दी थी. लेकिन मौके पर अगल-बगल स्थित दोनों अफसरों के दरवाजे बंद मिले. दोनों आवास के बाहर के दरवाजे की कुंडी सुरक्षित मिली, जिस पर ताला लटक रहा है. जिस पीछे के रास्ते से आरोपी अफसर के घर में घुसने की बात कही जा रही है, वहां दोनों अधिकारियों के आवास के बीच लगभग आठ फीट ऊंची चहारदीवारी है, जिससे कूदना आसान नहीं है.
प्रकरण में सामने आ रहे उतरौला के व्यक्ति की भूमिका अहम बताई जा रही है. उसकी कॉल डिटेल को पुलिस ने खंगाला तो पता चला कि महिला अधिकारी के मोबाइल फोन पर छह महीने में 1500 कॉल की गई है. कार्यालय और फील्ड में ड्यूटी के दौरान भी वह व्यक्ति अक्सर दिखता था. कई बार कार्रवाई के दौरान वह वीडियो और फोटो बनाते हुए दिख चुका है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक साथ काम करने की वजह से महिला अधिकारी और नायब तहसीलदार के बीच मित्रवत संबंध बन गए थे. वह अक्सर महिला अधिकारी के पीछे के दरवाजे से आया-जाया करते थे. इस बात की जानकारी महिला अधिकारी के करीबी उतरौला के युवक को भी थी और वह अक्सर अपनी मोबाइल नंबर 7905872674 से कॉल करने नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला को अपशब्द कहता रहता था. वह इनसे महिला अधिकारी से दूरी बनाकर रहने को कहता था.
कोतवाली में दर्ज केस में आरोपी नायब तहसीलदार की गिरफ्तारी न होने से क्षुब्ध महिला अधिकारी ने सोमवार को लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से भेंट की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में लिखा है कि एफआईआर और न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान के चार दिन बाद भी पुलिस ने आरोपी नायब तहसीलदार को गिरफ्तार नहीं किया. लिखा है कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मामले की लीपापोती कर रहे हैं.