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बीएड डिग्री धारकों ने एससीईआरटी पर किया प्रदर्शन, सुप्रीम कोर्ट फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने की मांग

बीएड डिग्रीधारकों ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश नहीं लाती है तो देश भर के एक करोड़ युवाओं का भविष्य अधर में फंस जाएगा. सरकार को 28 जून 2018 के नोटिफिकेशन में क्लियर कर देना चाहिए था कि बीएड को क्षणिक रूप से शामिल किया जा रहा है. इससे युवाओं का समय और भविष्य न बर्बाद होता.

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आक्रोशित बीएड डिग्रीधारकों ने गुरुवार को शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर किये जाने से नाराज युवाओं ने एससीईआटीई पर जमकर नारेबाजी की. उन्होंने कहा कि सरकार, एक्सपर्ट कमेटी और अधिकारियों की गलती का खामियाजा यूपी के 13 लाख बीएड धारकों को भुगतना पड़ रहा है. जिस तरह केंद्र सरकार दिल्ली सर्विस बिल का अध्यादेश लायी थी. उसी तरह सुप्रीम कोर्ट इस फैसले के खिलाफ भी अध्यादेश लाये.

सरकार व अधिकारियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे युवा

बीएड डिग्रीधारकों ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश नहीं लाती है तो देश भर के एक करोड़ युवाओं का भविष्य अधर में फंस जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को 28 जून 2018 के नोटिफिकेशन में क्लियर कर देना चाहिए था कि बीएड को क्षणिक रूप से शामिल किया जा रहा है. इससे युवाओं का समय और भविष्य न बर्बाद होता. युवा बीएड की जगह बीटीसी कर लेते. अब सभी की सीटेट मार्कशीट बेकार हो गयी है.

अचानक सब कुछ छीन लिया गया

बीएड डिग्री धारकों ने कहा कि वह पांच साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, अचानक सब छीन लिया गया. जो बीएड डिग्री धारक कक्षा एक से 12वीं तक पढ़ाने के लिये पात्र थे. अब उनसे यह हक छीन लिया गया है.

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